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नोटों पे बैन करने के ऐलान से पहले आखिर क्यों पीएम मोदी ने कैबिनेट मंत्रियों के फोन रखवाए बाहर

कालेधन पर रोक लगाने के लिये 500 और 1000 के नोटों को प्रतिबंधित करने का फैसला कठिन था।

Updated on: 09 Nov 2016, 06:09 PM

नई दिल्ली:

कालेधन पर रोक लगाने के लिये 500 और 1000 के नोटों को प्रतिबंधित करने का फैसला कठिन था। इस फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई पहलुओं पर चर्चा की उसके बाद ही ये फैसला लिया गया। ये फैसला लेना इतना आसान नहीं था और इससे पहले प्रधानमंत्री ने कई बैठकें कीं।

आइये जानते हैं नोट प्रतिबंधित करने के पहले क्या-क्या हुआ और क्या चल रहा था प्रधानमंत्री के मन में:

#  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 महीने पहले की नोट बदले जाने की योजना को मंज़ूरी दी थी।

# प्रधानमंत्री इस बात को लेकर चिंतित थे कि नोट प्रतिबंधित करने पर कहीं लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

# 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कार्यकाल में हाई वैल्यू नोट्स को प्रतिबंधित किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस फैसले से संबंधित फाइल मंगाकर उसका अध्ययन किया।

# इस तरह के फैसलों की जानकारी लीक होने की संभावना होती हैष इसलिये प्रधानमंत्री ने वित्तमंत्री अरुण जेतली के साथ इसकी गोपनीयता पर चर्चा की।

# गोपनीयता इस हद तक बरती गई कि कैबिनेट के दूसरे नेताओं को इसकी भनक भी नहीं लगी। ये बात सिर्फ प्रधानमंत्री, आरबीआई गवर्नर, वित्तमंत्री और वित्तसचिव को मालूम थी।

# प्रधानमंत्री ने आरबीआई गवर्नर, वित्त मंत्री और वित्त सचिव के साथ इस मसले पर चार बार बैठक की। इन बैठकों में नोट प्रतिबंधित करने की रणनीति के साथ इस बात को भी सुनिश्चित किया गया कि लोगों को परेशानी न उठानी पड़े।

# प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाई वैल्यू के नोट प्रतिबंधित करने को लेकर इस बात की चिंता थी कि कहीं ट्रांजैक्शन में दिक्कत न हो। लेकिन प्रधानमंत्री को बताया गया कि अमेरिका, रूस और चीन में 100 की वैल्यू के ही नोट हैं और यहां भी 100 की वैल्यू पर परेशानी नहीं होगी।

# अब सवाल उठता है कि फिर सरकार ने 2000 रुपये के नोट क्यों बनाए। इसका सीधा सा कारण ये था कि अगर 1000 के नोट को सरकार फिर से बनाती तो पाकिस्तान उन्हीं नोटों को फिर छापकर भारत में भेजता, 2000 के नोट फिलहाल पाकिस्तान छाप नहीं पाएगा।

# इस फैसले को टॉप सीक्रेट रखा गया और दूरदर्शन पर संदेश की रिकॉर्डिग की गई। इस रिकॉर्डिग के बाद ही कैबिनेट को बताया गया और मंत्रियों को तब तक बाहर नहीं जाने दिया गया जबतक की प्रधानमंत्री का संदेश प्रसारित नहीं कर दिया गया। आपको बता दें कि मंत्रियों को कैबिनेट की बैठक में मोबाइल ले जाने की इजाज़त नहीं थी। मंत्रियों के फोन बाहर ही रखवा लिए गए थे।