सबसे बड़ा मुद्दा: ट्रिपल तलाक के मसले पर क्या सियासत हो रही है ?
केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मुहर लगते ही तीन तलाक पर कानून पास हो जाएगा. इस अध्यादेश के तहत पीड़िता, परिजन और खून के रिश्तेदार ही FIR दर्ज करा सकते हैं.
नई दिल्ली:
केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मुहर लगते ही तीन तलाक पर कानून पास हो जाएगा. इस अध्यादेश के तहत पीड़िता, परिजन और खून के रिश्तेदार ही FIR दर्ज करा सकते हैं. मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा. ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. इसके साथ ही एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार होगी.
सवाल यह है कि क्या बीजेपी अध्यादेश के जरिए आधी आबादी को हक के साथ इंसाफ दे रही है या फिर सियासी फायदे की ओर नजर है. इसी मुद्दे पर आज न्यूज स्टेट (उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड) पर एंकर अनुराग दीक्षित ने किया 'सबसे बड़ा मुद्दा'
कानून मंत्री के अनुसार जनवरी 2017 से 13 सितम्बर 2018 तक तीन तलाक़ की 430 घटनाएं सामने आई हैं. अलग अलग राज्यों की बात करें तो. असम में 11, बिहार में 19, दिल्ली में 1, झारखंड में 35, मध्यप्रदेश 37, महाराष्ट्र 27, तेलंगाना 10 और सबसे ज्यादा 246 मामले उत्तर प्रदेश से सामने आए.
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