EWS आरक्षण पर अरुण जेटली ने कहा, समाज में बराबरी लाने की कोशिश
बिल पेश करने के बाद चर्चा के दौरान अरुण जेटली ने कहा कि इस आरक्षण से 'सबका साथ, सबका विकास' सुनिश्चित होगा. यह समानता की दिशा में एक कदम हैं, जिससे सामाजिक उत्थान होगा.
नई दिल्ली:
मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण को मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदन में विधेयक पेश किया था. बुधवार को राज्यसभा में इस विधेयक को पेश किया जाएगा. बता दें कि राज्यसभा का शीतकालीन सत्र एक दिन के लिए बढ़ाया गया है. बिल पेश करने के बाद चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस आरक्षण से 'सबका साथ, सबका विकास' सुनिश्चित होगा. यह समानता की दिशा में एक कदम हैं, जिससे सामाजिक उत्थान होगा.
जेटली ने कहा कि इस विधेयक के जरिये सभी वर्गों के बीच बराबरी लाने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर हम राजनीति और राजनीतिक मतभेद से अपने आप को दूर कर लें तो आरक्षण की कल्पना हमारे संविधान में पैदा कैसे हुई. जो 'समाजवादी' शब्द था वो असल प्रस्तावना में नहीं था उसे 76वें संशोधन में 1976 में जोड़ा गया.
जेटली ने 10 फीसदी आरक्षण से संविधान को चुनौती मिलने वाले तर्कों को लेकर कहा कि जब हमारा संविधान बनाया गया था तो उसमें लिखा था कि सभी नागरिकों को हम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर न्याय देंगे और दूसरा अवसरों के मामले में समानता देने का प्रयास करेंगे. ये संविधान निर्माताओं की आरंभिक कल्पना थी.
जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की आज परीक्षा है. जो चुनावी घोषणापत्र में उन्होंने लिखा है उसे पूरे मन से समर्थन देते हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि मेरा सदन में सबसे आग्रह है कि अगर आप इस बिल का समर्थन कर रहे हैं तो अच्छे दिल से समर्थन दीजिए.
और पढ़ें : आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10% आरक्षण का बिल लोकसभा से पास, पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक
बता दे कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान 124वां संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया था.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईसाई और मुस्लिमों सहित हिंदू धर्म के 'अनारक्षित श्रेणियों' के लोगों को नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में दस फीसदी कोटा देने का फैसला किया है. इस कोटे का फायदा अनारक्षित श्रेणियों के 8 लाख रुपये तक की वार्षिक आय सीमा व करीब पांच एकड़ जोत वाले लोग उठा सकेंगे.
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