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पीएम मोदी को 2019 लोकसभा चुनाव में चुनौती देने के लिए क्या महागठबंधन बनाएगा विपक्ष

कांग्रेस का मानना है कि यदि अभी नहीं सतर्क हुए तो फिर 2024 तक इंतजार करना होगा।

Updated on: 17 Mar 2017, 12:01 PM

नई दिल्ली:

विधानसभा चुनाव के नतीजे ने साबित कर दिया कि मोदी के विजय रथ को रोकना अकेले किसी भी पार्टी के बूते की बात नहीं। ओमर अबदुल्ला और मणिशंकर अय्यर जैसे कई बड़ें नेताओं ने तो खुले तौर पर कहा है कि मोदी को हराने के लिए महागठबंधन की राह पकड़नी होगी, नहीं तो भूल जाइए 2019 लोकसभा चुनाव।

हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही सीएम नीतीश ने ये बात समझ ली और इसलिए राजद पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया। यूपी चुनाव के पहले भी लालू यादव बार-बार सभी राजनीतिक पार्टियों को एक साथ आने को कह रहे थे। यूपी चुनाव के बाद अब किसी पार्टी को यह 'भ्रम' नहीं है कि वह अकेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी से जीत सकती है।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा माहौल के सामान्य होने के बाद बीएसपी और एसपी से महागठबंधन को लेकर अनौपचारिक बात की जाएगी। बीएसपी और एसपी के बीच के मतभेद के कारण यूपी में महागठबंधन नहीं हो सका और इसलिए बिहार की तरह प्रयोग यहां देखने को नहीं मिला। अब कांग्रेस को भी लगने लगा है कि अगर बिहार के तर्ज़ पर चुनाव लड़ा जाता तो बीजेपी को यूपी में भी रोका जा सकता था।

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कांग्रेस का मानना है कि यदि अभी नहीं सतर्क हुए तो फिर 2024 तक इंतजार करना होगा। कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता सी. पी. जोशी ने संकेत दिया कि कांग्रेस की कोशिश सभी राज्यों के क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की रहेगी। ऐसे में यूपी में कांग्रेस को अब बीएसपी से भी परहेज नहीं होगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणि शंकर अय्यर ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी कई राज्यों में कमजोर है और जहां जहां उसने गठबंधन किया है वहां पर उसका प्रदर्शन बेहतर रहा है। मणिशंकर अय्यर ने इस बात पर भी जोर दिया कि कांग्रेस पार्टी को समझना चाहिए कि उनकी स्थिति 1968 जैसी मजबूत नहीं है और ऐसे में 2019 को लेकर महा गठबंधन बनाना बेहद जरूरी है।

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जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जब तक देश के तमाम राजनीतिक दल भाजपा को हराने के लिए एक मंच पर नहीं आते हैं तब तक प्रधानमंत्री मोदी को हराना संभव नहीं है। संजय सिंह ने कहा कि अगर मायावती ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के साथ हाथ मिलाया होता तो फिर वहां की तस्वीर कुछ और होती है।

हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी को हराने के लिए 2019 में अगर महागठबंधन बनता है तो उस का नेतृत्व कौन करेगा, इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है।

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