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यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम: मोदी की 'सुनामी' में सभी विपक्षी दल हुए साफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश में भरी हुंकार नतीजों में प्रचंड रुप लेकर उभरी और भाजपा ने राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से 312 सीटों पर विजय प्राप्त कर विपक्षी पार्टियों समेत सभी को सन्न कर दिया।

Updated on: 11 Mar 2017, 11:15 PM

highlights

  • भाजपा ने राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से 312 सीटों पर शानदार जीत हासिल की है
  • बसपा को 19, सपा को 47 सीटें व कांग्रेस को महज 7 सीटों पर जीत मिली है
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा भारी बहुमत से जीती है 

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश में भरी हुंकार नतीजों में प्रचंड रुप लेकर उभरी और भाजपा ने राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से 312 सीटों पर विजय प्राप्त कर विपक्षी पार्टियों समेत सभी को सन्न कर दिया। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नकारात्मक प्रचार के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रचंड बहुमत मिला। पार्टी ने 403 सीटों में से 312 सीटों पर शानदार जीत हासिल कर यह साबित कर दिया कि 'काम जो बोला वह सुना नहीं गया'।

प्रदेश के सियासी संग्राम में प्रधानमंत्री के उतरने से सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। राज्य निर्वाचन आयोग के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा 312 सीटों पर जीती। इसके अलावा बसपा को 19, सपा को 47 सीटें व कांग्रेस को महज 7 सीटों पर जीत मिली है।

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भाजपा के सहयोगी दल भारतीय समाज पार्टी (भासपा) 4 सीटों पर और अपना दल (सोनेलाल) को 9 सीटों पर जीत मिली है। अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को मात्र एक सीट मिली। तीन निर्दलीय उम्मीदवार जीते, जबकि निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के खाते में भी एक सीट गई।

बसपा अध्यक्ष मायावती ने भाजपा पर ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताई। उन्हें अंदेशा है कि ईवीएम में गड़बड़ी के कारण दूसरी पार्टी का वोट भी भाजपा के पक्ष में चला गया। वह हैरान हैं कि मुस्लिम बहुल इलाकों में भी भाजपा कैसे जीत गई? 

उन्होंने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर इस चुनाव को रद्द कराकर बैलेट पेपर के जरिये दोबारा चुनाव कराने की मांग की है और मांग न सुनी जाने पर आंदोलन व अदालत की शरण लेने की चेतावनी दी है।

मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मायावती का समर्थन करते हुए कहा कि यदि ईवीएम को लेकर सवाल उठे हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह जनता के फैसले को स्वीकार करते हैं और उम्मीद करते हैं कि नई सरकार जनता की बेहतरी के लिए काम करेगी।

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मौजूदा सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने गौरीगंज सीट पर अपना कब्जा कायम रखा। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद नईम को 26,000 से अधिक वोटों से हराया। सपा और कांग्रेस में गठबंधन के बावजूद कुछ सीटों पर उनके उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े।

अमेठी में भाजपा उम्मीदवार गरिमा सिंह को 63,912 वोट मिले। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी व दागी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को हराया, जिन्हें 58,941 वोट मिले। 

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जगदीशपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार सुरेश पासी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा कांग्रेस विधायक राधेश्याम धोबी को हराया। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा का गढ़ बने लखनऊ में इस बार नौ में से आठ सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया।

लखनऊ कैंट में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी ने 33 हजार 796 मतों से हराया। लखनऊ मध्य सीट से भाजपा के ब्रजेश पाठक को सपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की आपसी जंग का फायदा मिला और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के रविदास मेहरोत्रा को 5094 मतों से हराया। 

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लखनऊ उत्तरी सीट से भाजपा के नीरज बोरा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के अभिषेक मिश्र को 27 हजार 276 मतों से हराया। कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से 7 पर भाजपा के प्रत्याशी जीते, जबकि तीन पर सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी विजयी हुए।

नौबस्ता गल्लामंडी मतगणना स्थल के बाहर चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस और भाजपा के समर्थकों में मारपीट हुई, लेकिन भारी पुलिस बल तैनात होने के कारण कोई बड़ी घटना नहीं हुई।

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कानपुर कैंट सीट भाजपा पहली बार हारी। यहां कांग्रेस प्रत्याशी सोहेल अंसारी ने निर्वतमान भाजपा विधायक रघुनंदन भदौरिया को हराया। इसी तरह आर्यनगर सीट भी हमेशा भाजपा के कब्जे में रही है, लेकिन इस बार सपा के अमिताभ बाजपेयी ने भाजपा विधायक सलिल विश्नोई को करीब 5800 वोटों से हराया।

शहर की मुस्लिम बहुल सीसामऊ सीट भी सपा ने बरकार रखी। यहां विधायक इरफान सोलंकी ने भाजपा के सुरेश अवस्थी को हराया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 224 सीटें मिली थीं। बसपा 80 सीटें लेकर दूसरे स्थान पर और भाजपा 47 सीटें लेकर तीसरे स्थान पर रही थी, कांग्रेस को 28 व रालोद को 9 सीटें मिली थीं।

इस बार भाजपा का वनवास खत्म हुआ, अब उसके सामने संकल्पपत्र (वादों की फेहरिस्त) खोलकर एक-एक वादा निभाने की चुनौती है, ताकि किसी वादे को कोई 'जुमला' न कहे।

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