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अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनेगा तो क्या मक्का और वेटिकन में बनेगा - उमा भारती

आज सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्‍जिद भूमि विवाद को बात-चीत के जरिए हल करने का फैसला दिया है

Updated on: 08 Mar 2019, 02:21 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्‍या में राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्‍जिद भूमि विवाद केस को मध्‍यस्‍थता के लिए भेज दिया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री उमा भारती ने कहा है कि हम कोर्ट पर तो कुछ नहीं बोल सकते लेकिन इतना तो तय है कि जहां रामलला बैठे हैं वहीं पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा. उमा भारती ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जिस तरह से वेटिकन सिटी में मस्जिद नहीं बन सकता, मक्का में हिंदू देवी देवता का मंदिर नहीं बन सकता, उसी तरह से अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर ही बन सकता है.

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उमा भारती ने मध्यस्थता की बात पर कहा कि मध्यस्थता में बैठे लोगों को सोमनाथ मंदिर की तरह फैसला करना चाहिए और जिस जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ है वहां सिर्फ भव्य राम मंदिर का निर्माण ही होगा. बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्‍जिद भूमि विवाद को बात-चीत के जरिए हल करने का फैसला दिया है. लेकिन इस केस में भी सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी रखेगा. ध्‍यस्‍थता के लिए 3 लोगों का पैनल बनाया गया है और 8 हफ्ते में मध्‍यस्‍थता पूरी करनी होगी. 4 हफ्ते में मध्‍यस्‍थता की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देनी होगी. मध्‍यस्‍थता के लिए श्री श्री रविशंकर, श्रीराम पंचू और जस्‍टिस एफएम इब्राहिम खलीफुल्‍ला का नाम तय किया गया है.

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जस्‍टिस खलीफुल्‍ला मध्‍यस्‍थता पैनल की अध्‍यक्षता करेंगे. एक हफ्ते में मध्‍यस्‍थता की प्रक्रिया फैजाबाद से शुरू करनी होगी. मध्‍यस्‍थता की मीडिया रिपोर्टिंग से मना किया गया है. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महासभा की ओर से सुझाए गए तीनों नाम को स्‍वीकार नहीं किया है. बता दें कि श्रीश्री रविशंकर एक बार पहले भी अपनी ओर से मध्‍यस्‍थ की भूमिका निभा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह मध्‍यस्‍थता के लिए बने पैनल के लोगों को पूरी सहूलियत उपलब्‍ध कराए. पैनल को जरूरत पड़ने पर विधिक सहायता भी उपलब्‍ध कराई जाएगी.