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'द टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996': प्रणब मुखर्जी को नोटिस जारी करने वाली जज ने केस से खुद को किया अलग

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नोटिस जारी कर छह सप्‍ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

Updated on: 06 Apr 2018, 07:21 PM

नई दिल्ली:

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की एक किताब 'द टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996' को लेकर नोटिस जारी करने वाली दिल्ली हाई कोर्ट की जज प्रतिभा सिंह ने अब इस केस से ख़ुद को अलग कर लिया है।

बता दें कि प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996’ में राम जन्‍मभूमि और बाबरी मस्‍जिद को लेकर कुछ बातें लिखी गई हैं। जिसको लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की गई है और कहा गया है कि इससे धर्म विशेष की भावना को ठेस पहुंचती है।

जिसके बाद दिल्‍ली हाईकोर्ट ने पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नोटिस जारी कर छह सप्‍ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द टर्बुलेंट ईयर्स 1980-1996’ में राम जन्‍मभूमि और बाबरी मस्‍जिद को लेकर कुछ बातें लिखी गई हैं। जिसको लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की गई है और कहा गया है कि इससे धर्म विशेष की भावना को ठेस पहुंचती है।

जिसके बाद दिल्‍ली हाई कोर्ट ने पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नोटिस जारी कर छह सप्‍ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

हाई कोर्ट में ये अपील 30 नवंबर, 2016 के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें 'टरबुलेंट इयर्स 1980-1996' पुस्तक से कुछ सामग्रियों को हटाने की मांग खारिज कर दी गई थी।

ये मुकदमा यू सी पांडे नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दायर की थी। उन्होंने 1992 के अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बारे में किताब के कुछ संदर्भों पर अपनी आपत्ति जताई थी। उनका कहना है कि किताब में लिखी कुछ लाइनें ऐसी हैं जो हिंदुओं की आस्था आहत करती हैं।

उन्होंने हाई कोर्ट से कहा कि किताब प्रकाशित होने के तुरंत बाद कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन निचली अदालत ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ये किताब 5 सितंबर, 2016 को प्रकाशित हुई थी।

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