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त्रिपुरा गर्वनर तथागत रॉय का विवादित ट्वीट- अजान से की पटाखों के शोर की तुलना

रॉय ने कहा, 'मुअज्जिन को मीनार पर तेज आवाज में अजान करना होता है, इसीलिए मीनारें बनाई गई हैं। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल इस्लाम के खिलाफ है।'

Updated on: 18 Oct 2017, 08:28 AM

highlights

  • लाउडस्पीकर पर अजान से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर सेक्यूलर लोगों की चुप्पी हैरान करने वाली है: तथागत रॉय
  • मुअज्जिन को मीनार पर तेज आवाज में अजान करना होता है, इसीलिए मीनारें बनाई गई हैं, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल इस्लाम के खिलाफ

नई दिल्ली:

त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने एक बार फिर विवादित ट्वीट कर सोशल मीडिया पर सबके निशाने पर आ गये हैं। उन्होंने दीवाली के मौके पर अजान की तुलना पटाखों के शोर से की है। त्रिपुरा के राज्यपाल ने एक साथ लगातार तीन ट्वीट कर उन लोगों से सवाल पूछा है, जो दिवाली के दौरान पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की शिकायत करते हैं।

रॉय ट्विटर पर लिखा, 'हर साल दिवाली पर पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर विवाद होता है, जो साल में कुछ ही जलाए जाते हैं, लेकिन रोज सुबह साढ़े चार बजे लाउडस्पीकर के जरिये होने वाले अजान के शोर की बात कोई भी नहीं करता।'

उन्होंने आगे ट्वीट किया, 'लाउडस्पीकर पर अजान से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर सेक्यूलर लोगों की चुप्पी हैरान करने वाली है। कुरान या किसी हदीस में लाउडस्पीकर का कोई जिक्र नहीं है।'

रॉय ने कहा, 'मुअज्जिन को मीनार पर तेज आवाज में अजान करना होता है, इसीलिए मीनारें बनाई गई हैं। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल इस्लाम के खिलाफ है।'

दरअसल, रॉय की यह प्रतिक्रिया तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में दिवाली के दिन रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पटाखों को फोड़ने पर रोक लगाने के बाद आई है।


बता दें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर में एक नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद राज्यपाल काफी भड़के हुए नजर आए थे।

रॉय ने ट्वीट कर कहा था, 'कभी दही हांडी, आज पटाखा, कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला देकर मोमबत्ती और अवार्ड वापसी गैंग हिंदुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दें!'

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कुछ दिन पहले भी राज्यपाल ने रोहिंग्या शरणार्थियों को 'कचरा' कह कर विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने ट्वीट किया था, 'कोई इस्लामिक देश रोहिंग्याओं को अपनाने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन भारत जरूर महान धर्मशाला है और अगर आप इनकार करते हैं, तो इसे अमानवीय व्यवहार माना जाएगा।'