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तीन तलाक अध्यादेश का मुस्लिम महिलाओं ने किया स्वागत, ओवैसी बोले- बढ़ेगा अन्याय

वहीं भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने बुधवार को त्वरित तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी अध्यादेश का स्वागत किया.

Updated on: 19 Sep 2018, 10:20 PM

नई दिल्ली:

एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि तीन तलाक को आपराधिक कृत्य बनाए जाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित अध्यादेश से मुस्लिम महिलाओं के साथ और अन्याय होगा. अध्यादेश को महिला-विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि यह संविधान के अंतर्गत दिए गए मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है. हैदराबाद के सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अपने फैसले में कहा था कि अगर एक व्यक्ति तीन तलाक कहता है तो शादी निरस्त नहीं होगा.

उन्होंने कहा, "तो फिर आप किसके लिए उसे सजा देना चाहते हो?"

ओवैसी ने कहा कि सबूत का बोझ भी महिला पर डाल दिया गया है, जो कि महिला के साथ एक और अन्याय है. इस प्रावधान पर कि पति महिला को गुजारा भत्ता प्रदान करेगा, पर उन्होंने कहा कि कैसे तीन साल तक जेल में रहने वाला व्यक्ति गुजारा भत्ता देगा.

उन्होंने कहा, टइस्लाम में शादी एक नागरिक अनुबंध है और इसे दंडनीय अपराध बनाना पूरी तरह गलत है.ट

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ओवैसी ने कहा कि उनके निजी विचार में बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश को चुनौती देना चाहिए क्योंकि ऐसा करने के लिए मजबूत आधार है.

सांसद ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सच में महिलाओं को लेकर चिंतित हैं तो उन्हें पतियों द्वारा छोड़े गए 24 लाख महिलाओं के लिए एक कानून लाना चाहिए.

ओवैसी ने कहा, 'ये 24 लाख महिलाएं जिनमें 22 लाख हिंदू महिलाएं शामिल हैं, विवाहित हैं, लेकिन वे अपने पतियों के साथ नहीं रह रही हैं.'

उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश मोदी सरकार की पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतें, रुपये का अवमूल्यन और नौकरियों की कमी, कश्मीर में अस्थिरता से ध्यान बंटाने का प्रयास है.

मुस्लिम महिला संगठन ने अध्यादेश को सराहा

वहीं भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने बुधवार को त्वरित तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी अध्यादेश का स्वागत किया. संगठन ने एक बयान में कहा, "यह सही होता अगर संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से इस विधेयक को पास किया होता, खासकर तब जब वास्तविक विधेयक में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए. यह बहुप्रतीक्षित और अत्यधिक वांछनीय कानून है."

बयान के अनुसार, "विधेयक में सराहनीय संशोधन किए गए हैं, जिसकी बीएमएमए मांग कर रहा था."

बयान के अनुसार, "हम मुस्लिम महिलाओं की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के शुक्रगुजार हैं. हम सभी राजनीतिक पार्टियों से मुस्लिम महिलाओं की मांग का समर्थन देने की अपील करते हैं."

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तीन तलाक पर अध्यादेश मंजूर

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन तलाक को एक आपराधिक कृत्य के दायरे में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी. सरकार ने कहा कि ऐसा करना 'अनिवार्य आवश्यकता' और 'अत्यधिक जरूरी' था.

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इस मामले में अध्यादेश लाने की जरूरत पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने और लोकसभा द्वारा विधेयक पारित करने के बाद भी त्वरित तीन तलाक अभी भी 'लगातार जारी' है. राज्यसभा में यह विधेयक लंबित है."

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि इसने 'वोट बैंक की राजनीति' की वजह से राज्यसभा में विधेयक का समर्थन नहीं किया.

प्रसाद ने कहा कि यह मामला महिलाओं के सम्मान से जुड़ा हुआ है न कि धर्म से.

उन्होंने कहा, "तीन तलाक के मुद्दे का धर्म, पूजा के तरीके से कुछ लेना-देना नहीं है. यह पूरी तरह से लैंगिक न्याय व लैंगिक समानता से जुड़ा हुआ है."

उन्होंने कहा कि तीन तलाक आज भी रोटी जलने या पत्नी के देर से उठने के बेवजह आधार पर दिए जा रहे हैं

उन्होंने जनवरी 2017 से सितंबर 2018 के बीच विभिन्न राज्यों के तीन तलाक मामले के आंकड़ों को सामने रखा. इस दौरान कुल 430 मामले सामने आए, जिसमें सर्वोच्च न्यायलय के आदेश से पहले 229 व आदेश के बाद 201 मामले सामने आए.

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उन्होंने कहा कि इसके अलावा बिना रिपोर्ट किए अन्य मामले भी होंगे.

उन्होंने कहा, "सबसे खराब बात है कि तीन तलाक के मामले लगातार समाने आ रहे हैं. जो भी हमें पता चला है वह चौंकाने वाला है."

प्रसाद ने कहा कि कई इस्लामिक देशों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह अभी भी जारी है.

उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत अगर महिला या महिला का करीबी रिश्तेदार एफआईआर दर्ज कराता है तो अपराध सं™ोय बन जाएगा. महिला की पहल और संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा उचित स्थिति को देखने के बाद सहमति पर पहुंचा जा सकता है.

प्रसाद ने यह भी कहा कि एफआईआर दर्ज कराने वाली महिला को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है. नाबालिग बच्चे की देखभाल मां करेगी और वह खुद व बच्चे की देखरेख करने की जिम्मेदार होगी.

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य परिवार को तोड़ना नहीं है और सहमति को अदालत से मंजूरी प्रदान की जाएगी.

प्रसाद ने साथ ही संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी से वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर महिलाओं को न्याय दिलाने के प्रयास को समर्थन देने की अपील की.

उन्होंने इसके साथ ही ऐसी ही अपील बसपा प्रमुख मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की.

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प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन लोकसभा में किया, लेकिन राज्यसभा में नहीं किया.