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तीन तलाक़ बिल पर बोली कांग्रेस, संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ विधेयक, सरकार का इरादा नेक नहीं

विधेयक पर हुई चर्चा का कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा जवाब देने के बाद सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह विधेयक समाज को बांटने वाला है तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है.

Updated on: 27 Dec 2018, 11:33 PM

नई दिल्ली:

मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने संबंधी 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' को संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ करार देते हुए कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को सजा दिलाने की है. इस विधेयक को लोकसभा ने बहुमत से मंजूरी प्रदान की.

विधेयक पर हुई चर्चा का कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा जवाब देने के बाद सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह विधेयक समाज को बांटने वाला है तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग को सरकार सुन नहीं रही है, इसलिए हम वाकआउट कर रहे हैं.

इससे पहले, विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार के 'मुंह में राम बगल में छूरी' वाले रुख के विरोध में है क्योंकि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने एवं उनका सशक्तिकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने की है.

उन्होंने तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2017 के विधेयक को लेकर जो चिंताएं जताई थी उसका ध्यान नहीं रखा गया. सुष्मिता देव ने कहा कि एक वकील होने के बावजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर कानून बनाने को लेकर उच्चतम न्यायालय अल्पमत के फैसले का उल्लेख किया.

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में रखा जाए. कांग्रेस नेता ने कहा कि 1986 में राजीव गांधी के समय शाह बानो प्रकरण के बाद बनाया गया कानून मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण का सबसे महत्वपूर्ण कानून था जिसका उल्लेख उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में बार-बार किया.

सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस की शीर्ष नेता और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी सदन में दिखाई दिए. गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस विधेयक पर चर्चा के मद्देनजर ही बृहस्पतिवार को लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी कर रखा था.

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असदुद्दीन ओवैसी बिल का किया विरोध

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसिलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल का विरोध किया. ओवैसी ने कहा, 'यह कानून सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को रोड पर लाने का है, उनको बर्बाद और कमज़ोर करना है और जो मुस्लिम मर्द है, उनको बर्बाद और कमज़ोर करना है. मुस्लिम मर्द हैं उनको जेल में डालने का है. यही इस कानून का गलत इस्तेमाल होगा, आप देखना.'