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रेल हादसे के बाद जागा रेलवे, अब जापान और दक्षिण कोरिया से तकनीकी मदद लेगा भारत

आये दिन हो रहे रेल दुर्घटनाओं से निजात पाने के लिए भारतीय रेल अब जापान और कोरिया की मदद लेगा।

Updated on: 29 Dec 2016, 10:32 PM

highlights

  • रेल हादसा रोकने के लिए जापान और दक्षिण कोरिया की मदद लेगा भारत
  • सुरक्षा के मसले पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ की बैठक
  • जापान और दक्षिण कोरिया के अधिकारियों को भारत बुलाया जायेगा
  • रेलमंत्री ने बैठक में कहा, हादसों के बाद अब जीएम भी नहीं बख्शे जाएंगे

नई दिल्ली:

आये दिन हो रहे रेल दुर्घटनाओं से निजात पाने के लिए भारतीय रेल अब जापान और दक्षिण कोरिया की मदद लेगा। रेल मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में हुई हाई-लेवल मीटिंग में जापान और कोरिया के अधिकारियों को बुलाने का फैसला किया गया है।

उत्तर प्रदेश के कानपुर में रुरा के पास बुधवार को अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस की 15 बोगियां पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 62 लोग घायल हो गए थे।

जापान और दक्षिण कोरिया के अधिकारियों की मदद से रेल हादसों को रोकने के लिए तकनीकी समाधान खोजा जायेगा। रेल सेफ्टी को लेकर रेल भवन में दिनभर बैठकों का सिलसिला चला और रेल मंत्री ने डॉ काकोदकर से भी इस बाबत चर्चा की। रेल मंत्री ने पूर्व सीएजी विनोद राय को कहा है कि रेलवे के सेफ्टी को लेकर अपनी राय दें।

रेल मंत्री ने जोनल हेड और रेल बोर्ड के सदस्यों के साथ भी हादसे पर चर्चा की और साफ-साफ चेतावनी दी की हादसे की जिम्मेवारी सिर्फ ड्राइवर या स्टेशन मास्टर की नहीं होगी। उन्होंने कहा की डीआरएम से लेकर जीएम तक सभी की जिम्मेवारी तय की जाएगी।

कानपुर में हुए हादसे के बाद रेल मंत्रालय ने फैसला किया है कि अगले एक हफ्ते तक रेल नेटवर्क की जांच की जाएगी। इस दौरन जो भी कमियां पायी जाएगी उसकी सीधी जानकारी रेल बोर्ड को देनी होगी।

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कानपूर के पास इसी साल नवंबर में भी हादसा हुआ था। इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 115 यात्रियों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद रेल मंत्रालय ने कहा था कि सभी ट्रेनों में आईसीएफ डिजाइन कोच हटाये जायेंगे और उनकी जगह एलएचबी कोच लगाए जाएंगे।

एलएचबी ट्रेन पटरियों से उतरने या फिर दुर्घटना की स्थिति में एक के ऊपर एक नहीं चढ़ती है इससे ज्यादा नुकसान का खतरा नहीं रहता है। साथ ही मंत्रालय ने फैसला लिया था कि आईएएफ कोच में सिक्युरिटी फीचर बढ़ाये जायेंगे क्योंकि इनकी संख्या फिलहाल 45000 है जिसे चरणबद्ध तरीके से हटाने में कई साल लगेंगे।

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