बिना आंखों के पूरी दुनिया देख रही हैं छात्राएं, गीता और बाइबल के दिखाए पथ पर चलने के लिए ब्रेल का सहारा
ब्रेल लिपि नेत्रहीन बच्चों को गीता और बाइबल के माध्यम से संस्कृति, संस्कार, निजी कल्याण, दूसरों की भलाई, दया भावना आदि गुण सीख रहे हैं.
नई दिल्ली:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO- World Health Organisation) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में कुल नेत्रहीन लोगों की संख्या 3 करोड़ 90 लाख है. ऐसे लोगों के लिए पढ़ने-लिखने की व्यवस्था बनाने वाले लुई ब्रेल की आज जयंती है. 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में जन्मे लुई ने नेत्रहीन लोगों के लिए ब्रेल लिपि का अविष्कार किया, जिसने नेत्रहीन लोगों को शिक्षा प्राप्त करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई.
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इस बड़े मौके पर आज हम आपको ऐसी लड़कियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साधारण लोगों की तरह देख तो नहीं सकतीं, लेकिन इनके मजबूत इरादों ने पूरी दुनिया देख ली. हीरापुर स्थित प्रेरणा दिव्यांग स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहीं तृप्ति गायगवाल और उमेश्वरी निषाद सहित कई छात्राएं पवित्र गीता और बाइबल के जरिए आध्यात्म और दुनिया को पढ़ने की कोशिश कर रही हैं.
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तृप्ति और उमेश्वरी ब्रेल में लिखी गीता और बाइबल पढ़ रही हैं. ब्रेल लिपि नेत्रहीन बच्चों को गीता और बाइबल के माध्यम से संस्कृति, संस्कार, निजी कल्याण, दूसरों की भलाई, दया भावना आदि गुण सीख रहे हैं. ब्रेल लिपि के माध्यम से ही नेत्रहीन बच्चे भगवान कृष्ण और जीसस के पवित्र उपदेशों को पढ़ रहे हैं और उनका पालन भी कर रहे हैं.
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