निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए नियमों का सख्ती से पालन कराएं राज्य: एनसीपीसीआर प्रमुख
अतीत में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने निजी स्कूलों, शिक्षण संस्थानों में आवासीय सुविधाओं एवं बाल गृहों को लेकर दिशानिर्देश एवं मैनुअल बनाए हैं.
नई दिल्ली:
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की है कि वह बाल छात्रावासों में बच्चों की उचित देखरेख सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार कर रहा है. अतीत में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने निजी स्कूलों, शिक्षण संस्थानों में आवासीय सुविधाओं एवं बाल गृहों को लेकर दिशानिर्देश एवं मैनुअल बनाए हैं. पेश हैं इन्हीं विषयों पर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो से ‘पीटीआई’ के पांच सवाल:
प्रश्न : पहले से मौजूद कानूनों, दिशानिर्देशों और मैनुअल के बावजूद शिक्षण संस्थाओं एवं बाल गृहों में बच्चों का अधिकार पूर्णत: सुरक्षित क्यों नहीं हैं?
उत्तर : सबसे प्रमुख बात यह है कि जो भी नियम, दिशानिर्देश और मैनुअल हैं उनका सख्ती से अनुपालन कराने से स्थिति काफी हद तक सुधर सकती है. राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है और उनको नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए. अगर वे ऐसा करती हैं तो बाल गृहों में अनियमितताएं और निजी स्कूलों की मनमानी पर बहुत हद तक अंकुश लगेगा.
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि राज्य सरकार अपनी इस जिम्मेदारी को लेकर गंभीर हैं और उन्होंने प्रभावी कदम उठाये हैं?
उत्तर : कुछ राज्य सरकारों ने कदम उठाए हैं. उदाहरण के तौर पर हरियाणा ने हाल ही में निजी प्ले स्कूलों से जुड़े दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए कदम उठाया है. फीस के नियमन के दिशानिर्देशों को लेकर मध्य प्रदेश में कदम उठाया गया है. यह बात जरूर है कि सभी राज्यों को कदम उठाना होगा. जहां कदम उठाए जा रहे हैं वहां चीजें सुधरती दिख रही हैं.
प्रश्न : निजी स्कूलों/संस्थानों की मनमानी रोकने के लिए एनसीपीसीआर की तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर: निजी स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों की मनमानी को रोकने के लिए एनसीपीसीआर ने पिछले कुछ वर्षों में जो कदम उठाए हैं, अगर राज्य सरकारें उनका ही पालन करें तो भी यह सिस्टम ठीक हो जाएगा. हमने फीस को लेकर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाया, हमने बच्चों की सुरक्षा के लिए मैनुअल बनाया, हमने स्कूलों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तय किए. निजी प्ले स्कूलों के नियमन और आवासीय सुविधाओं को लेकर दिशानिर्देश बनाये. ऐसे कई कदम उठाए गए हैं और हमने पूरा प्रयास किया है कि इनका प्रभावी क्रियान्वयन हो.
प्रश्न : बाल गृहों में यौन शोषण के कई बड़े मामले सामने आए हैं. इस तरह की घटनाओं पर कैसे अंकुश लगेगा?
उत्तर : बाल गृहों में अनियमितताओं को रोकने के लिए किशोर न्याय कानून-2015 एक प्रभावी कानून है. इसके तहत बालगृहों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है. इसी कानून के बाद पहली बार मैपिंग की गई. पहली बार बालगृहों से जुड़े कई विषय अब कानून के दायरे में आ गए हैं. इसी कानून की धारा 54 के तहत निरीक्षण समितियां बनाने का भी प्रावधान है. पिछले अगस्त से नवंबर के बीच देश भर में करीब 1100 बालगृहों का निरीक्षण राज्य बाल आयोगों द्वारा किया गया. बाल गृहों में अनियमितताओं पर अंकुश प्रभावी निरीक्षण व्यवस्था के माध्यम से लगाया जा सकता है.
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प्रश्न : क्या मौजूदा समय में बाल अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रति राजनीतिक पार्टियां और नेता गंभीर दिखाई देते हैं?
उत्तर : अच्छे राजनेता हमेशा बच्चों की चिंता करते हैं. किशोर न्याय कानून-2015 लाया गया और इसे भारत की संसद ने पारित किया तो यह सब राजनीतिक इच्छा शक्ति से हुआ. पहले 2000 में किशोर न्याय कानून बना था तो वह भी राजनीतिक इच्छाशक्ति से हुआ था.
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