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राष्ट्रपति चुनाव में मोदी को मात देने के लिये विपक्ष की एकजुटता की कवायद, तय होगा 2019 के महागठबंधन का भविष्य भी

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मिली जीत और लगातार बढ़ रही उसकी ताकत से चिंतित विपक्ष में एकजुट होने की कवायद शुरू हो गई है।

Updated on: 22 Apr 2017, 09:49 AM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मिली जीत और लगातार बढ़ रही उसकी ताकत से चिंतित विपक्ष में एकजुट होने की कवायद शुरू हो गई है। क्षेत्रीय दलों के नेता आपस में मिल रहे हैं ताकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को शिकस्त दे सकें। विपक्ष की कोशिश है कि मोदी की चुनौती का सामना करने के लिये महागठबंधन तैयार किया जाए।  लोकसभा चुनाव 2019 में होना है जो फिलहाल दूर है,  लेकिन उसके पहले विपक्ष के सामने राष्ट्रपति चुनाव की चुनौती है।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है और उससे पहले राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। लोकसभा में और उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकार है, साथ ही लोकसभा में भी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव के लिये अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी।

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लेकिन विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी को चुनौती देने के मूड में है और इसी दिशा में वो एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने की योजना में हैं। साझा उम्मीदवार खड़ा करने के लिये क्षेत्रीय दलों के नेताओं से बातचीत कर एक सर्वसम्मति तैयार करने की कोशिश चल रही है।

इस पर बात करने के लिये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच राष्ट्रपति चुनाव के लिये साझा उम्मीदवार खड़ा करने को लेकर चर्चा की गई।

इधर सीपीएम पोलित ब्यूरो की बैठक में भी राष्ट्रपति चुनाव में साझा उम्मीदवार खड़ा करने पर चर्चा हुई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर सहमति बनती है तो विपक्ष के साझा उम्मीद वर को समर्थन देने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारी जीत के बाद भी बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव के 'इलेक्टोरल कॉलेज' के कुल वोटों के आधे पर पहुंचने में 20,100 वोटों से पीछे रह जाएगी।

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राष्ट्रपति चुनाव के लिये पड़ने वाले 10,90,000 वोटों में बीजेपी के खाते में 5,49,442 वोट हैं। पूरे वोट जुटाने के लिये उसे एआईएडीएमके जैसे दलों से समर्थन जुटाना होगा।

इधर ममता बनर्जी ने भी विपक्षी एकता के लिये उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी मुलाकात की। मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने भी बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं।

विपक्ष का एक धड़ा एस बात के पक्ष में है कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने की बात कर रहा है। विपक्ष की रणनीति है कि शरद पवार को उम्मीदवार बनाने से शिवसेना महाराष्ट्र और मराठी मानुष के नाम पर बीजेपी के उम्मीदवार से किनारा कर सकती है। साथ ही पवार की पैठ दूसरे दलों में भी है।

विपक्ष का मानना है कि सेना ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के चुनाव के दौरान बीजेपी के खिलाफ वोट दिया था।

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कांग्रेस, जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के गठबंधन को हराया था। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान यदि विपक्ष एकजुट होता है तो ये 2019 के आम चुनावों के लिये महागठबंधन की दिशा तय करेगा। लेकिन इस गठबंधन का दारोमदार दूसरे दलों से ज्यादा कांग्रेस पर होगा।

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