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असम NRC मुद्दे पर त्रिपुरा में सुरक्षा कड़ी, सीएम बिप्लव ने कहा हमारे राज्य में इसकी जरूरत नहीं

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर उठे विवाद के बीच त्रिपुरा में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए मंगलवार को सुरक्षा कड़ी कर दी गई।

Updated on: 31 Jul 2018, 02:46 PM

अगरतला:

असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर उठे विवाद के बीच त्रिपुरा में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए मंगलवार को सुरक्षा कड़ी कर दी गई।

पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) के.वी. श्रीजेश ने मीडिया को बताया, 'राज्य में कहीं से भी कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं मिली। हालांकि पड़ोसी असम में एनआरसी के दूसरे मसौदे के जारी होने के बाद त्रिपुरा में सुरक्षा एजेंसियां स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही हैं।'

उन्होंने कहा कि असम से जुड़े पुलिस स्टेशन और अंतर-राज्य सीमाओं के साथ तैनात सुरक्षाकर्मियों से स्थिति पर सख्त सतर्कता बनाए रखने के लिए कहा गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम के सभी पड़ोसी राज्यों से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने को कहा गया है। असम के साथ त्रिपुरा 53 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।

इसी बीच ट्राइबल इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) ने राज्य में एनआरसी लागू करने की मांग की।

वहीं दूसरी तरफ एनआरसी को लेकर त्रिपुरा के सीएम बिप्लव देव ने कहा है कि ऐसी कोई मांग यहां नहीं है। त्रिपुर में सबकुछ ठीक है। मैं समझता हूं कि यह असम के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। सर्वानंद सोनोवाल जी इससे निपटने में सक्षम हैं लेकिन कुछ लोग इसपर तनाव पैदा कर माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

आईएनपीटी के अध्यक्ष बिजॉय कुमार हरांगखवाल ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, 'हम जल्द ही हमारी मांग के लिए त्रिपुरा में आंदोलन कार्यक्रम आयोजित करेंगे। असम की तरह स्वदेशी जनजातियों के हित के लिए एनआरसी को त्रिपुरा में तैयार किया जाना चाहिए।'

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सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक सहयोगी इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने भी यही मांग की है।

बता दें कि असम में सोमवार को जारी एनआरसी के मसौदे से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किए जाने से उनके भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है और साथ ही एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया।

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