रामलीला मैदान में RSS ने बढ़ी हुंकार, कहा- जब तक राम मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो जाता आंदोलन जारी रहेगा
जोशी ने कहा कि न्यायपालिका का अपना तरीका है, लेकिन लोकतंत्र में संसद के अपने अधिकार हैं और वर्तमान सरकार को कानून तैयार करने की दिशा में पहल करनी चाहिए.
नई दिल्ली:
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विधेयक लाने का दबाव बनाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने रविवार को आंदोलन को 'एक और धक्का देने' का आह्वान किया और कहा कि जो सत्ता में हैं उन्हें जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और सकारात्मक कदम उठाने चाहिए. राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की धर्म सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी सुरेश भैय्याजी जोशी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को राम मंदिर पर उसका पालमपुर प्रस्ताव याद दिलाया और कहा कि 'अब कोई विकल्प नहीं है और सरकार को इस पवित्र काम के लिए साहस दिखाते हुए आगे आने की जरूरत है.'
भगवान राम के हजारों श्रद्धालुओं, संतों और धार्मिक गुरुओं की मौजूदगी में जोशी ने कहा, 'उन्होंने एक प्रस्ताव पारित किया था कि राम मंदिर वहीं बनाएंगे. अब वक्त आ गया है कि उस प्रस्ताव का सम्मान किया जाए. बिना कोई हिचकिचाहट के उन्हें अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की ओर आगे बढ़ना चाहिए.'
वीएचपी की धर्म सभा 11 दिसंबर को शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से दो दिन दिन पहले हुई है.
जोशी ने कहा कि न्यायपालिका का अपना तरीका है, लेकिन लोकतंत्र में संसद के अपने अधिकार हैं और वर्तमान सरकार को कानून तैयार करने की दिशा में पहल करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, 'अब कोई अन्य विकल्प नहीं है, इस पवित्र कार्य के लिए उन्हें साहस दिखाने के लिए आगे आने की जरूरत है. यह सभी राम भक्तों का अनुरोध है. हम भीख नहीं मांग रहे हैं. हम केवल अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं, इन भावनाओं के सम्मान में सत्ता की एक बड़ी भूमिका है. मेरा मानना है कि जो सत्ता में हैं, वो इन भावनाओं को समझेंगे और सकारात्मक कदम उठाएंगे.'
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जोशी ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण देश में राम राज्य लाएगा और जब तक इसका निर्माण नहीं हो जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
'जय श्री राम' और 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' के नारों के बीच उन्होंने कहा, 'कितने समय तक हम भगवान राम को इस अस्थायी व्यवस्था में रहते देखेंगे? यह समाप्त होना चाहिए. स्थाई निवास का कालखंड अंतिम ओर चल पड़ा है, इसे अंतिम धक्का देने की आवश्यकता है. हम सभी भगवान राम को भव्य मंदिर में देखना चाहते हैं. मंदिर का निर्माण देश में राम राज्य की नींव रखेगा. यह तय करेगा कि किस दिशा में देश आगे बढ़ेगा, मंदिर के निर्माण तक आंदोलन जारी रहेगा.'
जोशी ने कहा, 'सत्ता सर्वोच्च नहीं होती लेकिन यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. सत्ता के गलियारे में बैठे लोगों को जनता की भावनाओं को समझने की जरूरत है. मुझे विश्वास है कि ना केवल वे इससे अवगत हैं बल्कि वे मंदिर के इस मुद्दे पर इस भावना से सहमत भी हैं.'
उन्होंने सुप्रीम पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जिस देश के लोगों का न्यायपालिका में कोई विश्वास नहीं होता, वो देश कभी प्रगति नहीं कर सकता. न्यायपालिका को भी इस पर विचार करने की जरूरत है.'
सभा को संबोधित करते हुए साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि सरकार को 'अपने खुद के लोगों' की बात सुननी चाहिए और अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'अपनों की आवाज अपनों को सुननी चाहिए और राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए.'
साध्वी ऋतंभरा हिंदुओं की भावनाओं को नजरअंदाज करने के लिए बीजेपी पर तंज भी कसा.
उन्होंने कहा, 'जो लोग भगवान राम के बारे में बात करते थे वे सत्ता का मजा ले रहे हैं लेकिन भगवान राम अभी भी तंबू में हैं. भगवान राम को तंबू में देखना बेहद दुखद है. भगवान राम की विशाल प्रतिमा का निर्माण करने का कोई मतलब नहीं जब तक की अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता. भारत का गौरव अपने स्थान पर रखने में ही सत्ता का कोई अर्थ है.'
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जैन समुदाय के धर्म गुरू लोकेश मुनी ने सरकार से संसद के शीतकालीन सत्र में मंदिर निर्माण के लिए कानून लाने को कहा.
उन्होंने कहा, 'अगर मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से बचाने के लिए विधेयक लाया जा सकता है तो राम मंदिर के लिए क्यों नहीं? सरकार को संसद में विधेयक लाना चाहिए और वह भी इस शीत सत्र में. यह स्पष्ट कर देगा कि कौन इसके समर्थन में है और कौन इसके विरोध में. जो इसका विरोध करेंगे वह 2019 लोकसभा चुनाव में नहीं जीतेंगे.'
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