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बज़ट 2017: ऐसा पहली बार हुआ है बज़ट के इतिहास में

नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में वित्त वर्ष 2017-18 का बजट कई मायनों में ख़ास रहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली के चौथे बजट में यह थी ख़ास बातें

Updated on: 01 Feb 2017, 07:14 PM

नई दिल्ली:

नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में वित्त वर्ष 2017-18 का बजट कई मायनों में ख़ास रहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली के चौथे बजट में यह थी ख़ास बातें:

1. पहली बार एक साथ पेश हुआ रेल और आम बजट: 93 साल में पहली बार रेल बजट अलग से पेश नहीं हु, साल 1924 में अंग्रेजों के वक्त से साल 2016 तक रेल बजट अलग से ही पेश होता रहा था। 

2. आज़ादी के बाद पहली बार एक फ़रवरी को पेश हुआ बजट: इससे पहले साल 2016 तक आम बजट और रेल बजट फ़रवरी के आखिरी हफ्ते में पेश होता था। बजट पेश होने की कड़ी में सबसे पहले रेल बजट फिर आर्थिक सर्वे और उसके बाद केंद्रीय बजट संसद में पेश होता था। 

3. प्लान्ड और नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर खत्म: सरकार ने पहली बार देश के बजटीय इतिहास में योजना खर्च और गैर योजना खर्च (प्लान्ड और नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर) को खत्म कर दिया है इसकी जगह सरकार ने रेवेन्यू एक्सपेंडिचर और कैपिटल एक्सपेंडिचर का मॉडल अपनाया है। 

4. राजनीतिक पार्टियों के चंदे की सीमा में कटौती: बजट में पहली बार राजनितिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की सीमा में कटौती की गयी है। पहले 20 हज़ार रूपये तक मिले चंदे देने पर कोई हिसाब नहीं देना होता था लेकिन अब इसकी सीमा घटाकर मात्र दो हज़ार रूपये कर दी गई है। अब 2 हज़ार से ज़्यादा के चंदे का रिकार्ड देना होगा। 

5. नोटबंदी के बाद मोदी सरकार का पहला बजट: 8 नवंबर के नोटबंदी के ऐलान के बाद, मोदी सरकार के सबसे चर्चित नोटबंदी के फैसले के बाद सरकार का यह पहला बजट है। 

6. GST के लागू होने से पहले का बजट: जीएसटी (पूरे देश में एक टैक्स व्यवस्था) लागू होने की तारीख 1 जुलाई 2017 है और यह बजट उससे पहले टैक्स ढांचे को तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। 

7. आईडीएस स्कीम के बाद पहला बजट: सरकार ने काला धन मालिकों के लिए अपनी काली कमाई को घोषित करने का आखिरी मौका दिया है। पेनल्टी और टैक्स देकर काले धन को सफेद बनाने की सरकार की स्कीम के बाद ये पहला बजट है।

8. कैश लेनदेन की सीमा तय की: सरकार ने कैश लेनदेन की सीमा तय कर दी है ,सरकार ने 3 लाख रुपए से अधिक के कैश लेनदेन पर पूरी तरह रोक लगा दी है। पहले 50 हज़ार रूपये से ज़्यादा की लेनदेन पैनकार्ड के साथ की जा सकती थी।