जानिये नोटबंदी पर क्या लिख रहा है विदेशी मीडिया
अमेरिका, यूरोप और अरब देशों की मीडिया ने नोटबंदी पर ना सिर्फ रिपोर्ट किये हैं बल्कि काफी संपादकीय भी लिखे गए हैं।
नई दिल्ली:
नोटबंदी के ग्यारह दिन हो चुके हैं और लोगों की परेशानियां कम होती नहीं दिख रही हैं। सरकार के रोज़ बदलते फैसले भी कतारों को छोटा करने में कारगर नहीं साबित हुए हैं। सवा सौ करोड़ से अधिक लोगों का देश अगर ऐसी परेशानी से गुज़र रहा है तो तो लाज़मी है कि देशी मीडिया के अलावा विदेशी मीडिया की निगाहें भी यहां लगी रहेंगी। पिछले एक हफ्ते में यही देखने को मिल रहा है और अमेरिका, यूरोप और अरब देशों की मीडिया ने नोटबंदी पर ना सिर्फ रिपोर्ट किये हैं बल्कि काफी संपादकीय भी लिखे गए हैं।
इंडिपेंडेंट और वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि लंबी लाइनों में लगे कुछ लोग इस कदम की तारीफ़ कर रहे हैं। उनके जोश को देखकर ट्रंप और ब्रेक्सिट समर्थकों के लोकलुभावनवादी और उच्च वर्ग के विरोध की याद आ जाती है। गांवों में अभी भी स्थिति खराब है और शहरों में भी लोगों का बड़ा हिस्सा परेशान है। एटीएम और बैंकों के सामने लड़ाइयां हो रहीं हैं।
और पढ़ें: जिनके खाते में जमा हुए अधिक कैश उन्हें आयकर विभाग ने थमाया नोटिस
इकोनॉमिस्ट में कहा गया है कि भले ही राजनीतिक पंडित इस कदम को एक मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं लेकिन ज़मीन पर व्यवहार और सिद्धांत में भारी अंतर दिख रहा है। असंगठित क्षेत्र में होने वाली आर्थिक गतिविधियां सकल घरेलु उत्पाद का 25 से 70 फीसदी तक हैं। इसकी जद में आने वाले लोगों को बहुत कठिनाई से गुज़रना पड़ रहा है और वो बेताब हैं कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हों। राजनीतिज्ञों के अलावा सुप्रीम कोर्ट को इस मसले में हस्तक्षेप करना पड़ा और एक न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि नोटबंदी सर्जिकल स्ट्राइक ना होकर अंधाधुंध बमबारी है।
यह भी पढ़ें: नोटबंदी पर लगातार बदल रहे नियम, थम नहीं रही लंबी कतार
द गार्जियन में जयती घोष ने लिखा है कि विमुद्रीकरण रफ़्ता-रफ़्ता की जाने वाली प्रक्रिया है। इस कदम से 85 फीसदी कामगारों की ज़िंदगी पर नकारात्मक असर पड़ा है। उन्हने लिखा कि किसान 50 दिनों तक इंतज़ार नहीं कर सकते, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपील की है। ये उनकी अगली फसल को की रोपाई का वक़्त है लेकिन जेब में पैसे नहीं है कि वह खाद-बीज खरीद सके।
यह भी पढ़ें: आज बैंकों में सिर्फ सीनियर सिटीजन ही बदल पाएंगे नोट, आम लोग अपने-अपने बैंक में ही कर पाएंगे ट्रांजेक्शन
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि नोटबंदी के बाद भी घपले रुके नहीं हैं। उन्होंने रिपोर्टिंग की है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद एक आदमी बहुत सारा कैश लेकर एक दूकान पर पहुंचा और स्टोर में मौजूद सारे आईफोन खरीदने की ख्वाहिश जताई। पुराने नोटों को डिस्काउंट पर भी बेचे जाने की ख़बरें आईं। नोटबंदी के बाद वाले शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को 3,000 से अधिक इमरजेंसी कॉल आये। कुल मिलाकर यह सब एक प्रशासनिक दुःस्वप्न की तरह है। यह मास्टरस्ट्रोक 'बैकफायर' भी कर सकता है।
अल जज़ीरा ने लिखा है कि लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इन्होंने प्रभात पटनायक के हवाले से लिखा है कि सरकार का यह कदम मूर्खतापूर्ण है। सरकार लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए छः महीने या साल भर का समय दे सकती थी पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। ऐसा एकाएक नहीं करना चाहिए था।
ब्लूमबर्ग ने लिखा है कि जिसे मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है, वो बहुत ही गलत अनुमान पर आधारित है। सरकार बेहद बेतकल्लुफ़ी से पेश आई है और तैयारी की कमी साफ़ दिख रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 50 धैर्य बनाये रखें, जबकि असल बात यह है कि स्थिति को सामान्य होने में 4 महीने लग सकते हैं।
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी