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जानिए विपक्ष के उन कद्दावर नेताओं को जिन्होंने EVM पर कभी नहीं उठाया सवाल

विपक्ष के कुछ ऐसे भी कद्दावर नेता जिन्हें EVM पर पूरा भरोसा है, और उन्होंने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया है.

Updated on: 22 May 2019, 11:02 AM

highlights

  • 23 मई से पहले शुरू हो गया ईवीएम पर हमला
  • कई विपक्षी नेताओं को है ईवीएम पर भरोसा
  • कई मुख्यमंत्रियों ने कभी नही उठाया ईवीएम पर सवाल

नई दिल्ली:

19 मई को लोकसभा चुनाव 2019 का आखिरी चरण खत्म होने के साथ ही टीवी पर एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने शुरू हो गए. एग्जिट पोल के नतीजों में सभी चैनल एनडीए (NDA) को पूर्ण बहुमत में दिखा रहे हैं. हालांकि ये केवल एक अनुमान है असली नतीजे 23 मई को आएंगे. एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर विपक्ष ने भौंहे चढ़ाकर ईवीएम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस, सपा, बसपा, आरजेडी, डीएमके, और सीपीएम समेत कई दलों ने EVM पर सवाल उठाए हैं, लेकिन विपक्ष के कुछ ऐसे भी कद्दावर नेता जिन्हें EVM पर पूरा भरोसा है, और उन्होंने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया है.

                               

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह
कांग्रेस दिल्ली में भले ही EVM पर सवाल उठाने में आगे रही हो, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं में से एक कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कभी भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया. कैप्टन अमरिंदर सिंह साल 2017 के विधानसभा चुनाव और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ईवीएम की निष्पक्षता के साथ अडिग रहे. आपको बता दें कि अप्रैल 2017 में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि ईवीएम के साथ किसी किस्म की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा संभव होता तो पंजाब का सीएम अकाली दल का होता कैप्टन ने ये बयान पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद विधानसभा में दिया था.

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ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक
ईवीएम की प्रतिष्ठा पर सवाल नहीं उठाने वालों में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी शामिल हैं. नवीन पटनायक भी उन्हीं नेताओं में शुमार किए जाते हैं जो कि ईवीएम की साख को लेकर बयान देने से बचते रहे हैं. हालांकि मौजूदा लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल के बाद उनकी पार्टी को ओडिशा में थोड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है. आपको बता दें कि ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में इस बार भारतीय जनता पार्टी लगभग 15 सीटों पर बढ़त बनाती हुई दिखाई दे रही है जबकि राज्य में सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल को सिर्फ 2 से 6 सीटों पर ही बढ़त बनाती हुई नजर आ रही है. आपको बता दें कि EVM का विरोध करने वाले ज्यादातर नेता ऐसे हैं जिन्हें एग्जिट पोल में अपनी पार्टी को नुकसान होता दिखाई दे रहा है.

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आंध्र प्रदेश में विपक्षी नेता जगन मोहन रेड्डी
आंध्र प्रदेश में विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने भी ईवीएम पर अपना भरोसा कायम रखा है. भले ही वहां के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने EVM के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी हो, जगन मोहन ने मतदान के दौरान EVM के न काम करने पर भले ही नाराजगी जताई हो, लेकिन उन्होंने इसकी विश्वसनीयता पर कभी सवाल नहीं खड़े किए जबकि ईवीएम पर सवाल उठाने के मामले में रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू पर नाराजगी भी जताई थी. अप्रैल में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि अपनी पार्टी की हार देखकर वो EVM पर सवाल उठाने लगे हैं. जगन मोहन ने कहा कि राज्य के 80 फीसदी मतदाता EVM की कार्यप्रणाली से संतुष्ट हैं.

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव
दिसंबर 2018 में टीआरएस तेलंगाना विधानसभा में चुनाव जीतकर दोबारा सत्ता में आई तो कांग्रेस ने तुरंत ही ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया. तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी ने भी ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया है. टीआरएस ने कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि हारने वाली पार्टी हमेशा ही ईवीएम पर ठीकरा फोड़ती है, जबकि चुनाव आयोग कह चुका है कि इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ संभव नहीं है. लोकसभा चुनाव 2019 के एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद भी टीआरएस ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं खड़े किए हैं.