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जेडीयू-आरजेडी विधायकों की बैठक, लालू की होगी जीत या नीतीश होंगे चित

भ्रष्टाचार के मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर सीबीआई के एफआईआर दर्ज करने के बाद 28 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र से पहले जेडीयू (जनता दल युनाइटेड) और आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) ने अपने-अपने विधायकों की बैठक बुलाई है।

Updated on: 26 Jul 2017, 01:07 PM

highlights

  • आरजेडी और जेडीयू विधायकों की अलग-अलग बैठक, नीतीश ले सकते हैं कोई बड़ा फैसला
  • नीतीश कुमार चाहते हैं तेजस्वी का इस्तीफा, लालू नहीं देने पर अड़े

नई दिल्ली:

बिहार में महागठबंधन टूटने की उल्टी गिनती लगभग शुरू हो चुकी है। भ्रष्टाचार के मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर सीबीआई के एफआईआर दर्ज करने के बाद 28 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र से पहले जेडीयू (जनता दल युनाइटेड) और आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) ने अपने-अपने विधायकों की बैठक बुलाई है।

माना जा रहा है कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं। नीतीश या तो तेजस्वी का इस्तीफा ले सकते हैं या फिर उन्हें डिप्टी सीएम पद से बर्खास्त भी कर सकते हैं। ऐसे में बिहार की राजनीति के लिए ये 48 घंटे बेहद अहम माने जा रहे हैं।

लालू-नीतीश में तनातनी के बीच विधायकों की बैठक

मानसून सत्र से पहले आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने अपने आवास पर पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे। लालू तेजस्वी के समर्थन में आरजेडी के विधायकों को एकजुट रखने के लिए लगातार उनसे मिल रहे हैं ताकि नीतीश कुमार पर दबाव बनाया जा सके।

लालू की पार्टी आरजेडी विधायकों की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी है और उनके पास 80 विधायक हैं। लालू कई बार कह चुके हैं कि तेजस्वी किसी भी कीमत पर अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। बीते दिनों नीतीश और तेजस्वी के बीच बंद कमरे में करीब 45 मिनट तक मीटिंग हुई थी लेकिन उससे कोई समाधान सामने नहीं आया था।

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दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने भी अपने आधिकारिक आवास पर जेडीयू विधायकों की बैठक बुलाई है। तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप में जहां कुछ विधायक नीतीश के पक्ष में हैं और उन्हें अपनी ईमानदार छवि से समझौता नहीं करने की सलाह दे रहे हैं वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो कुछ विधायक महागठबंधन को बनाए रखने के पक्ष में हैं।

विधायकों को एकमत करने और किसी भी संभावित फूट को रोकने के लिए नीतीश कुमार विधायकों से बात करेंगे। नीतीश किसी भी फैसले से पहले अपने विधायकों को एकजुट करना चाहते हैं ताकि तेजस्वी पर फैसला उनके खिलाफ ना चला जाए।

नीतीश-लालू के बयानवीरों की तरफ से जंग जारी

महागठबंधन में फूट की खबरों के बीच दोनों तरफ से बयान का दौर पिछले 20-25 दिनों से जारी है। जेडीयू, आरजेडी में रह चुके और अब राजनीति से संन्यास ले चुके शिवानंद तिवारी ने जहां लालू के समर्थन में बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार दूध के धुले नहीं हैं। जदयू नेता संजय सिंह ने शिवानंद तिवारी पर पलटवार करते हुए कहा, 'तिवारी जैसे लोग मानसिक रूप से बीमार हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नहीं तो क्या बेनामी सम्पति की बाते करें।' संजय सिंह ने साफ कर दिया, 'गठबंधन बचाने की जवाबदेही सिर्फ नीतीश कुमार की नहीं है और करप्शन के मुद्दे पर समझौता नहीं होगा।'

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि महागठबंधन को किसी भी कीमत पर यूपीए 2 नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने कहा नीतीश कुमार पटना में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। त्यागी पहले भी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ ज्यादा सहज तरीके से सरकार चला पाने में सक्षम थी।  

बीते दिनों जेडीयू के अध्यक्ष रह चुके और पार्टी के सांसद शरद यादव ने कहा था कि किसी भी कीमत पर महागठबंधन नहीं टूटना चाहिए। कोविंद के शपथग्रहण में शामिल होने आए नीतीश कुमार ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी जिसके बाद ये बात सामने आई थी कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस को अपने इस फैसले से अवगत करा दिया है कि तेजस्वी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। हालांकि कांग्रेस बिहार में अभी आरजेडी की तरफ से सुलह कराने की कोशिश में लगी हुई है। कांग्रेस के बिहार में 27 विधायक हैं।

नीतीश चाहते हैं इस्तीफा लेकिन लालू तैयार नहीं

बिहार में महागठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर अपनी छवि से कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं इसलिए वो तेजस्वी यादव से इस्तीफा लेना चाहते हैं। जबकि भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति के आरोप में घिरे लालू कुनबे के मुखिया लालू यादव किसी भी कीमत पर इस्तीफे के लिए तैयार नहीं है।

कांग्रेस आरजेडी की तरफ से बीच-बचाव का रास्ता निकालने की कोशिश में है। नीतीश कुमार चाहते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लालू यादव को तेजस्वी के इस्तीफे के लिए मना लें। चूंकि नीतीश कुमार पहले भी भ्रष्टाचार के मामले में सहयोगी रहे बीजेपी के मंत्रियों से इस्तीफा ले चुके हैं इसलिए उनपर भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने का दोहरा दबाव है। लालू यादव का जहां बिहार में जाति आधारित वोट बैंक है वहीं नीतीश कुमार अपनी ईमानदार छवि की बदौलत चुनाव जीतते आए हैं।

नीतीश कुमार के पास लालू यादव की तरह जातिगत वोट बैंक नहीं है। ये भी एक बड़ा कारण है कि अगर नीतीश कुमार समझौता करते हैं तो संभव है कि अगली बार उनके कोर वोटर उनसे छिटक जाएं।

दोहरी मुसीबत में नीतीश कुमार, फैसले पर टिका बिहार और लालू का भविष्य

विधायकों की संख्या के लिहाज से आरजेडी के बाद जेडीयू दूसरी नंबर की सबसे बड़ी पार्टी है। आरजेडी के पास जहां 80 विधायक हैं वहीं नीतीश की पार्टी जेडीयू के पास 71 विधायक हैं। अगर नीतीश कुमार लालू की मर्जी के खिलाफ तेजस्वी से इस्तीफा लेते हैं तो महागठबंधन टूट सकता है। अगर महागठबंधन टूट तो नीतीश कुमार एनडीए से समर्थन लेकर अपनी सरकार बचा सकते हैं। बीजेपी पहले ही नीतीश को समर्थन देने का संकेत दे चुकी है। एनडीए के पास बिहार में 57 विधायक हैं जिसमें बीजेपी के 53, एलजेपी और आरएलएसपी के 2-2 विधायक हैं।

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वहीं गठबंधन टूटने के बाद लालू यादव के पास भी सरकार बनाने का मौका आ सकता है। लालू यादव की पार्टी के पास 80 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं। अगर महागठबंधन टूटता है तो आरजेडी कांग्रेस विधायकों से समर्थन और कुछ निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा कर सकती हैं। कांग्रेस और आरजेडी के विधायकों की संख्या को अगर जोड़ दें तो 107 विधायकों हो जाते हैं। इसके बाद उन्हें बहुमत के 122 के जादुई आंकड़े को पाने के लिए 15 विधायकों की जरूरत होगी। महागठबंधन टूटने के बाद निर्दलीय विधायक और जेडीयू के कुछ विधायक लालू को अपना समर्थन दे सकते हैं। ऐसे में नीतीश के लिए फैसला लेना आसान नहीं होगा।

बीजेपी इस्तीफे के लिए नीतीश पर बना रही है दबाव

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और बिहार के उपमुख्यमंत्री और उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने पटना सहित देशभर के 12 स्थानों पर छापेमारी की थी।
भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विपक्षी दल बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेदाग छवि को लेकर तेजस्वी पर इस्तीफे के लिए दबाव बना रही है।

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वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा, 'नीतीश कुमार की हालत आज अपहृत विमान के पायलट जैसी हो गई है।' उन्होंने कहा कि 26 साल की उम्र में 26 बेनामी संपत्ति अपने नाम कराने वाले तेजस्वी यादव के समर्थन में आरजेडी का नया कुतर्क यह है कि सरकारी दफ्तरों में करप्शन जारी है, इसलिए इस मुद्दे पर 'जीरो टॉलरेंस' की बात महज दिखावा है।

नीतीश कुमार के पास एक रास्ता ये भी है कि वो तेजस्वी का इस्तीफा लेकर दोबारा मंत्रिमंडल का गठन कर लें और नए मंत्रीमंडल में तेजस्वी और तेज प्रताप को शामिल ना करें। अगर ऐसा हुआ ता लालू की पार्टी आरजेडी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकती है। आने वाले 48 घंटे में ये साफ हो जाएगा कि नीतीश और लालू अपने सियासी चाल से किसको चित करते हैं।

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