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निपाह पर तेलंगाना हुआ अलर्ट, केरल में अब तक 10 की मौत

तेलंगाना की स्वास्थ्य मंत्री सी लक्ष्मी रेड्डी ने मंगलवार को बताया कि स्वास्थ्य विभाग निपाह वायरस से निपटने के खिलाफ सर्तक है।

Updated on: 23 May 2018, 10:55 AM

नई दिल्ली:

केरल में निपाह वायरस के कहर के बाद तेलंगाना भी अलर्ट हो गया है। तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री सी लक्ष्मी रेड्डी ने मंगलवार को बताया कि स्वास्थ्य विभाग निपाह वायरस से निपटने के खिलाफ सर्तक है।

उन्होंने कहा की निपाह से निपटने के लिए हमने पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ वार्ता आयोजित की है। राज्य सरकार ने दिल्ली में नेशनल फॉर डिसीज कंट्रोल(एनसीडीसी) और मणिपाल सेंटर फॉर वायरोलॉजी (एमसीवीआर) से भी बात की है।

लक्ष्मी रेड्डी ने बताया कि सरकार ने हैदराबाद के ओस्मानिया, गांधी, नीलोफर और फीवर अस्पतालों में पांच से लेकर आठ बेड के साथ स्पेशल वार्ड स्थापित किए है।

उन्होंने कहा कि सरकार वायरस का पता लगाने के लिए ब्लड और अन्य सैम्पल इकट्ठा करने की व्यवस्था भी कर रही है।

स्वास्थ्य मंत्री सी लक्ष्मी रेड्डी ने राज्य के लोगों से निपाह वायरस से न घबराने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर इस वायरस के लक्षण किसी में दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। 

क्या होता है निपाह वायरस 

WHO की रिपोर्ट के अनुसार निपाह वायरस टेरोपस जीनस नामक एक खास नस्ल के चमगादड़ से मिला है। डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस को पशु स्वास्थ्य स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता के विश्व संगठन में सूचीबद्ध किया है।

निपाह वायरस इंफेक्शन का नाम मलेशिया के गांव से पड़ा है जहां एक व्यक्ति की इस बीमारी के कारण मौत हो गई थी।  मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे।

कैसे फैलता है निपाह 

यह वायरस फ्रूटबैट्स के जरिये इंसानों और जानवरों पर हमला करता है। यह वायरस बैट के मल-मूत्र, लार, और प्रसव तरल पदार्थ में मौजूद होता है। खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्‍शन की चपेट में जल्‍दी आते हैं। 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे।

इस वायरस के लक्षण 

आम तौर पर, पीड़ित को इस इन्सेफलेटिक सिंड्रोम के रूप में तेज संक्रमण बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, विचलन, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत होने के लक्षण नजर आते हैं। मलेशिया में प्रकोप के दौरान, करीब 50 फीसदी तक मरीजों की मौत हो गई थी।

कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्‍या का भी सामना करना पड़ सकता है। नीपा वायरस के लिए कोई उपचार नहीं है। इंसानों के मामलों के लिए प्राथमिक उपचार गहन सहायक देखभाल है।

बचाव के तरीके 

इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें।

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