TDP के संस्थापक एनटीआर के बेटे हरिकृष्णा की सड़क दुर्घटना में मौत
1996 में एनटीआर के निधन के बाद हरिकृष्णा ने आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए हिंदूपुर से चुनाव लड़ा। यह उनके पिता का निर्वाचन क्षेत्र था।
नई दिल्ली:
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के संस्थापक एनटीआर के बेटे और अभिनेता से राजनेता बने एन.हरिकृष्णा की बुधवार सुबह तेलंगाना के नलगोण्डा जिले में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। वह 61 साल के थे। पूर्व राज्यसभा सदस्य और आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री हरिकृष्णा की गाड़ी अन्नेपार्थी के पास पलट गई थी, जिसमें उन्हें सिर पर गंभीर चोट आई थी। कार डिवाइडर से टकराने के बाद काफी देर तक हवा में रही और दूसरी ओर से आ रहे एक अन्य वाहन से जा टकराई।
हरिकृष्णा ने सीट बेल्ट नहीं लगाई हुई थी, जिसके कारण वह वाहन से बाहर जा गिरे और गंभीर चोटें आई। उन्हें नार्केटपल्ली के पास कामिनेनी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
उनके साथ वाहन में सवार दो अन्य लोगों को मामूली चोटें आई हैं। उन्होंने कहा कि पत्थर से टकराने के बाद हरिकृष्णा का गाड़ी पर से नियंत्रण खो गया था।
दूसरी कार में सवार पांच लोगों में से दो को भी मामूली चोटें आई हैं। दूसरी कार के चालक ने कहा कि उसने वाहन को हवा में उड़ते हुए देख लिया था और उसके तुरंत बाद ही वह उनकी गाड़ी बाई ओर मोड़ दी, जिसके कारण टक्कर का पूरा प्रभाव नहीं पड़ा।
हरिकृष्णा दो लोगों के साथ एक शादी समारोह में शामिल होने आंध्र प्रदेश के नल्लौर जा रहे थे। हरिकृष्णा टीडीपी पोलित ब्यूरो के सदस्य और टीडीपी अध्यक्ष व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के रिश्तेदार थे।
हरिकृष्णा की दो पत्नियां लक्ष्मी और शालिनी हैं। उनके दो बेटे जूनियर एनटीआर और कल्याण राम और एक बेटी सुहासिनी है। उनके सबसे बड़े बेटे जानकी राम की भी 2014 में इसी जिले में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
इससे पहले, 2009 में नलगोंडा जिले में हुई एक सड़क दुर्घटना में हरिकृष्णा के दूसरे बेटे जूनियर एनटीआर बच गए थे। उन्हें चोटें आई थीं। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के निम्माकुर में दो सितम्बर, 1956 को जन्मे हरिकृष्णा टीडीपी के संस्थापक एनटीआर के चौथे बेटे हैं। उन्होंने 1960 के दशक में बाल कलाकार के रूप में सिनेमा जगत में कदम रखा था।
साल 1967 में आई फिल्म 'श्री कृष्णावतारम' में उन्होंने पदार्पण किया था। इसमें उनके पिता एनटीआर भी मुख्य भूमिका में थे। वह अपने समय के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में से एक थे।
हरिकृष्णा ने पदार्पण के बाद 'तेल्ला पेल्लमा (1970)', 'तातम्मा काला (1974)', 'राम रहीम (1974)', 'दामा वीरा शुरा कर्णा (1977)', 'श्री रामुल्या (1998)' और 'सीतारामा राजु (1999)' जैसी फिल्मों में काम किया।
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1996 में एनटीआर के निधन के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए हिंदूपुर से चुनाव लड़ा। यह उनके पिता का निर्वाचन क्षेत्र था। इसके बाद, हरिकृष्णा ने नायडू के मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री के रूप में काम किया और टीडीपी की युवा शाखा के अध्यक्ष भी बने।
साल 1999 में उन्होंने टीडीपी से यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि नायडू इस पार्टी में एनटीआर के आदर्शो की अनदेखी कर रहे हैं। इसके बाद उन्होंने अन्ना टीडीपी नामक एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई, लेकिन यह पार्टी सफल नहीं हो पाई।
इसके बाद, 2006 में हरिकृष्णा एक बार फिर टीडीपी में शामिल हुए और 2008 में राज्यसभा के निए निर्वाचित हुए। 2013 में उन्होंने आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, वह टीडीपी पोलित ब्यूरो के सदस्य के रूप में काम करते रहे।
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