दिल्ली में महीने भर चलेगा स्वराज इंडिया का 'जवाब दो, हिसाब दो' मुहिम
कालेधन और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जंतर मंतर पर विशाल रैली करने के बाद अब स्वराज इंडिया ने रामलीला मैदान में अगला बड़ा कार्यक्रम करने की घोषणा कर दी है।
highlights
- रविवार से अगले एक महीने के लिए शुरू होगा स्वराज इंडिया का 'जवाब दो, हिसाब दो' मुहिम
- दिल्ली के दस लाख़ घरों से स्वराज इंडिया का होगा सीधा संवाद, नगर निगम चुनाव की तैयारी शुरू
New Delhi:
कालेधन और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जंतर मंतर पर विशाल रैली करने के बाद अब स्वराज इंडिया ने रामलीला मैदान में अगला बड़ा कार्यक्रम करने की घोषणा कर दी है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि 12 फ़रवरी को स्वराज इंडिया दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान से एमसीडी चुनाव कैम्पेन का बिगुल फूंकेगा।
12 फ़रवरी को रामलीला मैदान पर होने वाले कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए नवगठित पार्टी स्वराज इंडिया ने अगले एक महीने दिल्ली के घर घर जाकर संवाद स्थापित करने की योजना बनाई है।
योजना का उद्देश्य दिल्ली के नागरिकों के साथ संवाद के जरिये उनकी समस्या समझना और फिर इनके सार्थक समाधान के लिए काम करना है। 12 फ़रवरी तक चलने वाले इस मुहीम का नाम 'जवाब दो, हिसाब दो' है, जिसमें दिल्ली का आम आदमी सरकार और जनप्रतिनिधियों से अपने सवालों के जवाब मांगेगा, अपने वोट का हिसाब मांगेगा। स्वराज इंडिया ने दिल्ली के दस लाख़ घरों तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया है।
महीने भर चलने वाले इस मुहीम के बाद दिल्ली की दशा का एक सच्चा आईना देश के सामने होगा। यह स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली के कितने लोग किन समस्याओं से त्रस्त हैं। 'जवाब दो, हिसाब दो' मुहिम से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि 12 फ़रवरी को किन मुद्दों पर रामलीला मैदान में आवाज़ बुलंद होगी।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने कहा, 'दिल्ली में केंद्र, राज्य और निगम स्तर पर तीन सरकारें हैं लेकिन अफ़सोस की बात है कि सबने दिल्ली को त्याग रखा है। जनता से जुड़े यहां की असल समस्याओं पर काम करने में किसी की रूचि नहीं है। आज दिल्ली का आम आदमी 'तीन सरकार, तीनों बेकार' के नारे लगा रहा है। स्वराज इंडिया ऐसी परिस्थिति में दिल्ली के लिए एक सार्थक एजेंडा देगा।
सफाई और स्वच्छता जैसे आम जनता से जुड़े कई ऐसे गंभीर मुद्दे हैं जो सीधा एमसीडी के कार्यक्षेत्र में आते हैं। स्वराज इंडिया दिल्ली के आगामी एमसीडी चुनावों को मुद्दों का चुनाव बनायेगा। जो कि अब तक नहीं होता आया है क्यूंकि निगम और पंचायतों जैसे स्वराज के असल मॉडल में देश के राजनीतिक पार्टियों की कभी रूचि ही नहीं रही है।'
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