logo-image

35-ए पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी, आशा है सुप्रीम कोर्ट इसे निष्प्रभावी करेगी

स्वामी ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह आर्टिकल महिलाओं के अधिकारों के भी ख़िलाफ़ है।

Updated on: 06 Aug 2018, 10:54 AM

नई दिल्ली:

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में 35-ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर होने वाली सुनवाई को लेकर आशा ज़ाहिर की है कि अदालत इसे निष्प्रभावी कर देगा। स्वामी ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह आर्टिकल महिलाओं के अधिकारों के भी ख़िलाफ़ है।

बता दें कि आर्टिकल 35-ए को बनाए रखने के लिए 27 व्यापारिक संगठनों ने घाटी में दो दिवसीय (पांच-छह अगस्त) बंद का आवाहन किया गया है।

बंद पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, 'हम इन चीज़ों से आतंकित नहीं हो सकते। यह बिलकुल साफ है कि यह लोग पाकिस्तान और कट्टरपंथियों के इशारे पर इसका विरोध कर रहे हैं। यह 35-ए आर्टिकल महिलाओं के ख़िलाफ और असंवैधानिक है। इसलिए हमलोग चाहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट इसे निष्प्रभावी कर दे।'

बता दें कि रविवार को नेशनल कॉफ्रेंस (एनसी) के नेताओं ने इस आर्टिकल के समर्थन में प्रदर्शन किया था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि 35 ए को ख़त्म करने के किसी भी क़दम का हमारी पार्टी विरोध करेगी।

और पढ़ें- NRC लिस्ट में नाम नहीं तो भी जेल या भारत से बाहर नहीं भेजे जाएंगे लोग

क्या है 35A

राष्ट्रपति के आदेश के बाद 14 मई 1954 को धारा 35A प्रकाश में आया था। धारा 35A राज्य विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह राज्य के स्थायी निवासियों की घोषणा कर सकती है और उनके लिए विशेष अधिकार निर्धारित कर सकती है।

यह अनुच्छेद 14 मई 1954 से जम्मू-कश्मीर में लागू है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर यह अनुच्छेद पारित हुआ था।

और पढ़ें- 35A की वैधता पर आज SC में होगी सुनवाई, आर्टिकल के समर्थन में जम्मू-कश्मीर बंद

सुप्रीम कोर्ट में इस धारा की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में धारा को रद्द करने की मांग की गई है, सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर 6 अगस्त को सुनवाई होगी।