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RSS के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के शामिल होने कै फैसले पर कांग्रेस ने जताई हैरानी, बीजेपी ने दिया जबाव

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले को लेकर राजनीति तेज हो गई है।

Updated on: 29 May 2018, 05:23 PM

highlights

  • आरएसएस के कार्यकताओं को संबोधित करेंगे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 
  • कांग्रेस मे मुखर्जी के इस कार्यक्रम में शामिल होने पर जताई हैरानी

नई दिल्ली:

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले को लेकर राजनीति तेज हो गई है।

आरएसएस ने मंगलवार को कहा कि यह पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता रहे प्रणब मुखर्जी की 'महानता' है कि उन्होंने नागपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करने का न्योता स्वीकार कर लिया है।

कांग्रेस से इस सवाल पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर उन्होंने हैरानी जताई। खबरों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक रूप से मामले से दूरी बनाते हुए कहा है कि यह सवाल पार्टी से नहीं बल्कि प्रणव मुखर्जी से पूछा जाना चाहिए कि वह संघ के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं। कहा गया है कि यह फैसला प्रणब मुखर्जी का है, कांग्रेस पार्टी का नहीं।

इस मामले पर पार्टी के वरिष्ठ नेता बयान देने से बचते नजर आए। हालांकि पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा, 'प्रणब मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं। आरएसएस को ये बातें पता होंगी। अगर उन्हें संघ अपने कार्यक्रम में बुला रहा है तो क्या प्रणव मुखर्जी ने अपनी विचारधारा बदली है या आरएसएस में कोई स्वाभिमान नहीं बचा है।'

कांग्रेस के इन सवालों पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में मुखर्जी को न्योता भेजने में कोई बुराई नहीं है।

उन्होंने कहा, 'अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आते हैं तो यह अच्छा है। क्या समस्या है कि अगर पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस के कार्यक्रम में आते हैं। आरएसएस देश का एक संगठन है। इसमें राजनीतिक अस्पृश्यता नहीं होनी चाहिए।'

आपको बता दें कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और कांग्रेस की सरकारों के दौरान वित्त, रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाल चुके हैं, जबकि आरएसएस को भारतीय जनता पार्टी के मातृ संगठन के रूप में में जाना जाता है।

14 मई से जून तक चलने वाले इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से 45 साल से कम उम्र के करीब 800 कार्यकर्ता आरएसएस हेडक्वॉर्टर कैंप में शामिल होंगे।

ऐसे में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या जीवन भर कांग्रेस विचारधारा के समर्थक रहे प्रणब मुखर्जी ने आखिरकार आरएसएस की विचारधारा को स्वीकार कर लिया है।

गौरतलब है कि आरएसएस के पहले के कार्यक्रमों में महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, कार्यकर्ता जयप्रकाश नरायण और भारतीय सेना के कमांडर चीफ करियप्पा भी शामिल हो चुके हैं।

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