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सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को झटका, 16 शेल्टर होम में बच्चों के यौन शोषण के मामलों की जांच सीबीआई करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की जांच से नाराजगी जाहिर करते हुए जांच सीबीआई को सौप दी है. इससे पहले मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस में जांच सीबीआइ को पहले ही सौंपी जा चुकी है.

Updated on: 28 Nov 2018, 02:54 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है. बिहार के 16 शेल्टर होम में बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों की जांच अब सीबीआई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की जांच से नाराजगी जाहिर करते हुए जांच सीबीआई को सौप दी है. इससे पहले मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस में जांच सीबीआइ को पहले ही सौंपी जा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि वो सीबीआई को जांच में हरसम्भव मदद करे.

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ऑडिट रिपोर्ट में रखे गए सभी आरोपों की जांच हो. कोर्ट ने कहा कि बिना अदालत की अनुमति के जांच से जुड़े किसी सीबीआई का ट्रांसफर न हो.

बिहार सरकार ने सीबीआइ को जांच न सौंपने का बार बार अनुरोध किया, कोर्ट ने ठुकराया

कोर्ट रूम में मौजूद बिहार सरकार के वकील गोपाल सिंह ने हरसंभव कोशिश की कि अदालत आज सीबीआई जांच का आदेश न दे. गोपाल सिंह ने कहा कि ऐसा करने से राज्य सरकार की मंशा पर बेवजह शक पैदा होगा. गोपाल सिंह ने कोर्ट से अनुरोध किया कि अदालत उन्हें स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए वक्त दे. उस रिपोर्ट को देख ले। अगर फिर भी बिहार सरकार की जांच से सन्तुष्ट न हो तो सीबीआई जांच का आदेश दे दे लेकिन जस्टिस मदन बी लोकुर अड़े रहे.

जस्टिस लोकुर ने कहा कि आप स्टेटस रिपोर्ट दायर कर दीजिए, हम लेकिन आज ही सीबीआई जांच का आदेश दे रहे है. गोपाल सिंह ने कोर्ट से एक हफ़्ते के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की मोहलत मांगी. कोर्ट जब इससे भी सन्तुष्ट नहीं हुआ, तो गोपाल सिंह ने कहा - सिर्फ 24 घण्टे का वक़्त दे दीजिए, हम स्टेटस रिपोर्ट दायर कर देंगे लेकिन जस्टिस मदन बी लोकुर ने इससे भी इंकार दिया. जस्टिस लोकुर ने टिप्पणी की कि जो काम कल करना है, अच्छा है उसे आज ही कर लिया जाए.

बिहार सरकार की जांच पर सवाल
मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बिहार सरकार के रवैये को अमानवीय और शर्मनाक बताया था. कोर्ट ने कहा था कि बिहार पुलिस इस मामले में जैसे जांच कर रही है, उससे इन शेल्टर होम का भयावह सच कभी सामने नहीं आ पायेगा, क्योंकि न तो सही एफआईआर दर्ज हो रही है न ही आरोपियों की गिरफ्तारी हो रही है.

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सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि कुछ बच्चे इन शेल्टर होम में अप्राकृतिक यौनाचार के भी शिकार हुए लेकिन पुलिस ने धारा 377 के तहत मामला दर्ज़ न कर हल्की धाराओं में मामला दर्ज़ किया