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बिना बीमा वाली गाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, राज्‍यों को नाटिफिकेशन लाने को कहा

बिना इंश्‍योरेंस (insurance) वाली गाड़ियों (vehicles) से होने वाले एक्‍सीडेंट पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सख्‍त रुख अपनया है.

Updated on: 13 Sep 2018, 12:44 PM

नई दिल्‍ली:

बिना इंश्‍योरेंस (insurance) वाली गाड़ियों (vehicles) से होने वाले एक्‍सीडेंट पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सख्‍त रुख अपनया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्‍यों से कहा है कि वह इस मामले में नियमों में बदलाव करें. कोर्ट ने कहा है कि राज्‍यों को इस संबंध में 12 हफ्ते में नोटिफिकेशन लाना होगा. इसके बाद दुर्घटना होने पर मजिस्‍ट्रेट वाहनों को जब्‍त कर सकेंगे. बाद में इन वाहनों को नीलाम करके पीड़ित को मुआवजा दिया जा सकेगा.

दो तरह का होता है बीमा
देश में दो तरह का वाहन बीमा होता है. इसमें एक है कंप्रेहैंसिव और दूसरा है थर्ड पार्टी बीमा (third party insurance). जो लोग वाहन का पूरा बीमा नहीं करा सकते हैं तो वह थर्ड पार्टी बीमा करा लेते हैं. ध्‍यान रहे बिना थर्ड पार्टी बीमा (third party insurance) के गाड़ी चलाना अपराध है. इसके लिए 1,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा जेल की सजा भी हो सकती है.

बिना बीमा वाले वाहनों को तलाशने की तैयारी
देश में बिना बीमा के चलने वाले वाहनों को पकड़ने की तैयारी कर रही है. इसके तहत ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वह उन गाड़ियों की जानकारी दें जिनका बीमा है. इसके बाद बिना बीमा वाली गाड़ियों को पकड़ने में मदद मिलेगी. जैसे ही यह डाटा अपडेट हो जाएगा उसके बाद इसे एक प्लेटफोर्म पर डाला जाएगा. इस डाटा की मदद से राज्यों के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रैफिक पुलिस वाले बिना बीमा वाली गाड़ियों को आसानी से पकड़ सकेंगे.

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देश में हैं करीब 21 करोड़ वाहन

बीमा इंफोर्मेशन ब्यूरो (IIB) के मुताबिक देश में करीब 21 करोड़ वाहन (vehicles) हैं. इनमें से केवल 6.5 करोड़ गाड़ियों का ही बीमा है. अधिकारियों का अनुमान है कि रोड पर चलने वाले 50-55 फीसदी वाहनों के पास बीमा है और वह हर साल रिन्यूअल भी कराते हैं. पैसेजर कार की बात करें तो करीब 70-80 फीसदी कारों का बीमा है. देश में कुल वाहनों की संख्या में करीब 70 फीसदी हिस्सा दो पहिया वाहनों का है, जिनका बीमा सबसे कम यानी केवल 40-50 फीसदी ही है.