सुप्रीम कोर्ट का आदेश, अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए तीन माह में फैसला ले अल्पसंख्यक आयोग
याचिका में दावा किया गया है कि कई राज्यों में हिंदू वाकई अल्पसंख्यक हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों का लाभ वहां उनसे कहीं बड़ी संख्या में मौजूद मुस्लिम ले रहे हैं.
नई दिल्ली:
अल्पसंख्यकों की राज्यवार परिभाषा और अल्पसंख्यकों की पहचान के दिशा निर्देश तय करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह में फैसला लेने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से कहा है कि वो बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की इस मांग पर तीन माह के अंदर फैसला ले. याचिका में दावा किया गया है कि कई राज्यों में हिंदू वाकई अल्पसंख्यक हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों का लाभ वहां उनसे कहीं बड़ी संख्या में मौजूद मुस्लिम ले रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कुछ राज्यों का हवाला भी दिया गया था. उनमें लक्ष्यद्वीप (मुस्लिम आबादी 96.20 फीसदी), जम्मू कश्मीर (मुस्लिम आबादी 68.30 फीसदी) ,असम (मुस्लिम आबादी 34.20 फीसदी), पश्चिम बंगाल (मुस्लिम आबादी 27.5 फीसदी), केरल (26.60 फीसदी), UP (19.30 फीसदी) और बिहार (18 फीसदी) आदि राज्य शामिल हैं. याचिकाकर्ता बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि इन सब राज्यों में मुस्लिम असल में बहुसंख्यक होने के बावजूद सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों के दर्जे का लाभ उठा रहे हैं, जबकि जो वास्तव में अल्पसंख्यक हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
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