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सुप्रीम कोर्ट ने कहा राजनीति को अदालतों में नहीं लाया जाना चाहिये

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो नहीं चाहते कि अदालतों में राजनीतिक दल आएं। अदालत की ये टिप्प्णी उस समय आई जब वो राजनीतिक दल जनहित याचिका दायर कर सकते हैं या नहीं जैसे सवाल पर सुनवाई कर रही थी।

Updated on: 01 Dec 2016, 10:56 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो नहीं चाहते कि अदालतों में राजनीतिक दल आएं। अदालत की ये टिप्प्णी उस समय आई जब वो राजनीतिक दल जनहित याचिका दायर कर सकते हैं या नहीं जैसे सवाल पर सुनवाई कर रही थी।

जस्टिस मदन बी लोकुर और एनवी रामन्ना की बेंच ने कहा, 'हमें डर है कि ये राजनीति को अदालतों में लेकर चला आएगा। हम ऐसा नहीं चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि राजनीति अदालत में आए।'

12 सूखा प्रभावित राज्यों में किसानों की दुर्दशा को लेकर एक एनजीओ 'स्वराज अभियान' की तरफ से जनहित याचिका दायर की गई थी। एनजीओ की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि यदि कोई राजनीतिक दल जनहित याचिका दायर करती है, तो अदालतें उस पर विचार कर सकती हैं।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि एनजीओ ने साफ कर दिया है कि वो एक राजनीतिक दल के सहयोगी के रूप में काम कर रही है। ऐसे में इसे जनहित याचिका से जोड़ा नहीं जाना चाहिये।

रोहतगी ने कहा कि 'स्वराज इंडिया' ने निर्वाचन आयोग के पास राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने का आवेदन दे रखा है। उन्होंने कहा, 'याचिकाकर्ता ने एक राजनीतिक दल गठित किया है। मै बताउंगा कि ये राजनीतिक दल अदालत के बाहर क्या करता है।'  

रोहतगी ने कहा कि यदि चुनाव आयोग में ये दल अभी पंजीकृत नहीं हुआ है तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो राजनीतिक दल नहीं है।

रोहतगी ने कहा, 'यदि कोई राजनीतिक दल फायदे के लिए अदालत का इस्तेमाल करना चाहता है, तो उसका उद्देश्य भी राजनीतिक ही माना जाएगा।'

प्रशांत भूषण ने इसके जवाब में कहा कि 'स्वराज अभियान' और 'स्वराज इंडिया' दोनों अलग-अलग संगठन हैं। 'स्वराज अभियान' कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। अगर राजनीतिक दल लोगों से जुड़ा मामला उठाता है तो इस पर अदालत को सुनवाई करनी चाहिये।

इस पर अदालत ने प्रशांत भूषण से कहा, 'ये कैसे समझा जाएगा कि ये लोगों से जुड़ा मुद्दा है या फिर राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है।'

प्रशांत भूषण ने कहा राजनीतिक दल का उद्देश्य लोगों से जुडा हो तो उसे संज्ञान में लेना चाहिये और अगर मुद्दा जनहित से जुड़ा नहीं है तो अदालत मामले को रद्द कर सकती है।