सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तलाक में समझौते की गुंजाइश नहीं तो 6 महीने की वेटिंग पीरियड की जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक के मामले में अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश न बची हो तो 6 महीने के वेटिंग पीरियड की जरूरत नहीं है।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तलाक को लेकर बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक के मामले में अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश न बची हो तो 6 महीने के वेटिंग पीरियड की जरूरत नहीं है।
सर्वोच्च अदालत की जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा, 'ट्रायल कोर्ट दोनों पक्षों के बीच आपसी गुंजाइश खत्म होने पर छह महीने की वेटिंग पीरियड को खत्म कर सकता है।'
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अनुसार कोई अगर तलाक लेना चाहता है तो अदालत उसे इस पर विचार के लिए कम-से-कम छह महीने का समय देती है। लेकिन अब सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी के बाद ट्रायल कोर्ट के फैसले के आधार पर दोनों पक्ष अलग हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छह महीने की इस अवधि के पीछे की सोच यह थी कि थोड़ी भी गुंजाइश होने पर रिश्ता बच सके, लेकिन जब ऐसा न हो तो लोगों के पास बेहतर विकल्प होना ही चाहिए।
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