सुप्रीम कोर्ट का आदेश तार-तार, खूब हुई आतिशबाजी, दिल्ली-एनसीआर में पसरी धुंध की चादर
बड़े पैमाने पर हुई आतिशबाजी के कारण राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर 'अत्यंत गंभीर और आपातकालीन' (सीवियर प्लस एमरजेंसी) श्रेणी में प्रवेश कर गया.
नई दिल्ली:
दीपावली के एक दिन बाद गुरुवार को दिल्ली में इस साल हवा की सबसे खराब गुणवत्ता दर्ज की गई. बड़े पैमाने पर हुई आतिशबाजी के कारण राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर 'अत्यंत गंभीर और आपातकालीन' (सीवियर प्लस एमरजेंसी) श्रेणी में प्रवेश कर गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन करते हुए कई शहरों में लोगों ने कम से कम रात 12 बजे तक आतिशबाजी की, जबकि शीर्ष न्यायालय ने पटाखे जलाने के लिए रात 10 बजे तक की समयसीमा तय कर रखी थी. नई दिल्ली में कई घंटे तक पटाखों की तेज आवाज सुनाई देती रही. मुंबई, कोलकाता, जयपुर एवं अन्य प्रमुख शहरों में भी न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होते देखा गया.
केंद्र द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) के मुताबिक, पटाखों से पैदा हुए धुएं सहित अन्य कारणों से दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 574 तक चला गया जो 'अत्यंत गंभीर और आपातकालीन' श्रेणी में आता है.
अधिकारियों ने बताया कि बड़े पैमाने पर हुई आतिशबाजी के कारण समूची राष्ट्रीय राजधानी में धुएं की मोटी परत पढ़ गई है और दृश्यता में काफी कमी आ गई है.
'सफर' ने चेताया था कि यदि पिछले साल की तुलना में कम नुकसानदेह पटाखे भी जलाए गए तब भी हवा की गुणवत्ता अत्यंत गंभीर श्रेणी में रहेगी.
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा' माना जाता है, 51 और 100 के बीच इसे 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम' माना जाता है, 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'काफी खराब' और 401 और 500 के बीच इसे 'अत्यंत गंभीर' माना जाता है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक करीब 574 है. गुरुवार को आधी रात के बाद तड़के दो बजे यह सूचकांक 'अत्यंत गंभीर' श्रेणी में प्रवेश कर गया और शाम तक यह इसी श्रेणी में बना रहेगा.
'सफर' की ओर से जारी परामर्श के मुताबिक, वायु गुणवत्ता सूचकांक 'अत्यंत गंभीर और आपातकालीन' श्रेणी में होने का मतलब है कि ऐसी हवा में ज्यादा समय तक सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति भी श्वसन संबंधी बीमारियों का शिकार हो सकता है. यह हवा उनके शरीर के अंगों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है.
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उच्चतम न्यायालय ने दीपावली एवं अन्य त्योहारों के दिन सिर्फ रात आठ बजे से रात 10 बजे तक आतिशबाजी की अनुमति दी है. न्यायालय ने सिर्फ 'हरित पटाखों' के निर्माण और बिक्री की इजाजत दी है, क्योंकि इसमें कम रोशनी, कम आवाज और कम नुकसानदेह रसायन निकलते हैं. न्यायालय के आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी गई है.
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी कुछ जगहों पर इसका उल्लंघन होते देखा गया. इन जगहों पर तय समयसीमा के पहले और बाद में बड़े पैमाने पर आतिशबाजी हुई.
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दिल्ली-एनसीआर में मयूर विहार एक्सटेंशन, लाजपत नगर, लुटियंस दिल्ली, आईपी एक्सटेंशन, द्वारका और नोएडा सेक्टर-78 ऐसे इलाकों में शामिल रहे जहां उच्चतम न्यायालय के आदेश का खुला उल्लंघन हुआ.
पुलिस ने आदेश का उल्लंघन होने की बात कबूली और कहा है कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि वे उल्लंघनों पर लगाम लगाने के लिए लगातार गश्त कर रहे हैं.
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