इंदिरा जयसिंह की याचिका को SC ने 'अकल्पनीय' बता किया खारिज, इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक की थी मांग
सुप्रीम कोर्ट ने इंदु मल्होत्रा की जज तौर पर नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने याचिका दायर करने वाली वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि ये कैसी जनहित याचिका है ये अकल्पनीय है।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने से रोकने के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिका को अकल्पनीय बताते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह को फटकार भी लगाई।
जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने जयसिंह की याचिका पर कड़ा रुख अख्तियार किया। बेंच में एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी सदस्य हैं। याचिका में नमांग की गई थी कि इंदु मल्होत्रा को शपथ लेने से रोका जाए और उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ की नियुक्ति के लिये केंद्र को कोर्ट आदेश दे।
इस पर बेंच ने कहा, 'ये किस तरह की याचिका है... केंद्र पूरी तरह से अपने अधिकार क्षेत्र में है कि वो पुनर्विचार के लिये प्रस्ताव को वापस भेजे... अगर केंद्र ने प्रस्ताव में से एक नाम को चुना और उनमें से एक नाम दोबारा विचार के लिये वापस भेज दिया तो वह उसका अधिकार है।'
जयसिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जोसफ और मल्होत्रा के नाम को अलग कर रही है जबकि दोनों के नाम एक साथ स्वीकार किये जाते या फिर खारिज किये जाने चाहिये थे।
बेंच ने इंदिरा जयसिंह को फटकार लगाते हुए कहा, 'ये अकल्पनीय, सोच से परे, और कभी न सुनी गई याचिका है।'
इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट से कहा कि वो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर चिंतित हैं। साथ ही सरकार अपने हिसाब से कैसे जजों को चुन सकती है। जब तक जस्टिस जोसफ के नाम को सरकार क्लीयर नहीं करती है तबतक मल्होत्रा के शफथ लेने पर रोक लगाई जाए।
इस पर बेंच ने कहा, 'संवैधानिक शुचिता कहती है कि इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति को लागू किया जाना चाहिये।'
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बेंच ने कहा कि बार की महिला सदस्य को जज नियुक्त किया जा रहा है और वकील ही उसका विरोध कर रहे हैं और दो बजे इसे रोके जाने के लिये याचिका दायर कर रहे हैं।
के एम जोसफ की नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्ताव न आने के खिलाफ 100 वकीलों ने एक याचिका दायर की थी। जिस पर बेंच सुनवाई कर रही थी।
इंदिरा जयसिंह ने याचिका में कहा है, 'कैसे सरकार ने जस्टिस के एम जोसफ का नाम इंदू मल्होत्रा से अलग किया है। ये गैरकानूनी है। इंदू मल्होत्रा की नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाई जाए।'
जस्टिस जोसेफ और मल्होत्रा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 22 जनवरी को कानून मंत्रालय फाइल भेजी थी। मल्होत्रा की नियुक्ति को तो सरकार ने मंजूरी दे दी है लेकिन जस्टिस के एम जोसेफ की नियुक्ति को रोके रखा है।
केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर जस्टिस जोसेफ पर कॉलेजियम को फिर से विचार करने का निवेदन किया है।
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