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अवैध रिश्ते में महिला दोषी होंगी या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी सुनवाई

शादी से अलग अवैध संबंध बनाने के मसले पर सु्प्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ अब सुनवाई करेगी।

Updated on: 06 Jan 2018, 04:05 PM

नई दिल्ली:

शादी से अलग महिला के किसी दूसरे शख्स से अवैध संबंध बनाने पर दोषी होंगी या नहीं इसपर सु्प्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ अब सुनवाई करेगी। मौजूदा कानून के मुताबिक, शादी के बाद किसी दूसरी शादीशुदा महिला से संबंध बनाने पर अभी सिर्फ पुरुष के लिए ही सजा का प्रावधान है।

शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि जब आपराधिक कानून महिला-पुरुष के लिए समान है, तो फिर सेक्शन 497 में ऐसा क्यों नहीं होता?

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 पर 1954 में चार जजों की बेंच असहमति जता चुकी है। ऐसे में अब सिर्फ पांच जजों की बेंच इस कानून की वैधता पर पुनर्विचार करेगी।

क्या है धारा 497?

धारा 497 के मुताबिक, अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी शादीशुदा महिला से शारीरिक संबंध बनाता है, तो इसमें सिर्फ उस मर्द को ही सजा होगी। इस मामले में शादीशुदा महिला पर किसी तरह के आरोप नहीं लगेंगे। इस मामले में पुरुष के लिए पांच साल की सजा का प्रावधान है।

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इटली में रहने वाले केरल मूल के एक सामाजिक कार्यकर्ता जोसेफ साइन ने धारा 497 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

जिसमें कहा गया है कि अगर शादीशुदा पुरुष और शादीशुदा महिला की आपसी सहमति से संबंध बने, तो सिर्फ पुरुष आरोपी कैसे हुआ? याचिका में कहा गया है कि 150 साल पुराना ये कानून मौजूदा दौर में बेमानी है।

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