ताजमहल के खराब रख-रखाव पर सुप्रीम कोर्ट की पुरातत्व विभाग को कड़ी फटकार, केंद्र लेगा विदेशी विशेषज्ञों की मदद
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह ताजमहल की रक्षा और संरक्षण के मुद्दे को देखने के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है।
highlights
- ताजमहल के खराब रख-रखाव को लेकर पुरातत्व विभाग से पूछे कई सवाल
- कोर्ट ने पुरातत्व विभाग के लचर रवैये पर लगाई फटकार
- चार हफ्ते के अंदर सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा
नई दिल्ली:
ताजमहल के खराब रख-रखाव पर सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्व विभाग (ASI) को कड़ी फटकार लगाई है। इसके बाद केंद्र ने सख्त कदम उठाते हुए प्राचीन धरोहर की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद लेने की बात कही है।
जस्टिस मदन बी लोकुर ने ताजमहल के रंग बदलने पर चिंता व्यक्त की। साथ ही संबंधित अधिकारियों से इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा। इस पर ASI ने बताया कि ताज के बदलते रंग की वजह गंदे मोजे, ताज पर मौजूद कीड़े और काई है।
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ASI के जवाब पर हैरान हुआ कोर्ट
इस जवाब पर हैरानी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या यह संभव है कि काई उड़ कर छत पर पहुंच गई! कोर्ट ने ASI के लचर रवैये पर फटकार लगाई और कहा कि समस्या यह है कि ASI मानने के लिए तैयार ही नहीं कि कोई दिक्कत है। अगर ASI ने जिम्मेदारी से अपना काम किया होता तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होती।
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शायद वक्त आ गया है कि हम ताज के संरक्षण के लिए बिना ASI के ही समाधान खोजे। कोर्ट ने आगे कहा कि 22 साल पहले, 1996 में दिए हमारे आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है।
बहरहाल कोर्ट ने चार हफ्ते के अंदर सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
विदेशी विशेषज्ञों को सौंपेंगे ताजमहल
वहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह ताजमहल की रक्षा और संरक्षण के मुद्दे को देखने के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है।
क्या इस वजह से खराब हो रहा है ताज?
इसी बीच याचिकाकर्ता और पर्यावरणविद एमसी मेहता ने कहा कि सरकार ताज के पास लगातार बांध बना कर पानी रोक रही है। इस वजह से यमुना में पानी का प्रवाह खत्म हो गया है। यह मृत नदी में तब्दील हो गई है। मछलियों के न रहने से काई और कीड़े पैदा हो रहे हैं। सरकार यह बताए कि उसके कितने बांध बनाने की योजना है?
बदलते रंग पर जताई थी चिंता
बता दें कि कुछ दिनों पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के बदलते रंग पर चिंता जाहिर की थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ताज पहले पीला पड़ गया, उसके बाद भूरा और अब हरा हो रहा है, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
फोटो देखने के बाद लगाई थी फटकार
याचिकाकर्ता पर्यावरणविद एमसी मेहता ने कोर्ट रूम में ताज के बदलते रंग को साबित करने के लिए कुछ फोटोग्राफ सौंपे थे।
इन तस्वीरों को देखने के बाद SC ने सरकार की ओर से पेश हुए ASG ए एन एस नंदकर्णी को कहा था कि वह देश-विदेश के एक्सपर्ट की सहायता ले, जो यह तय कर सके कि क्या वाकई ताजमहल को नुकसान पहुंचा है। अगर हां, तो इस नुकसान की भरपाई कैसे हो सकती है?
कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि हमे नहीं पता कि आपके पास एक्सपर्ट हैं या नहीं, लेकिन अगर हैं तो साफ है कि आप उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं या फिर आप परवाह नहीं करते।
इस पर ASG ए एन एस नंदकर्णी ने कोर्ट को बताया था कि ताज को संरक्षण और रखरखाव का काम पुरातत्व विभाग करता है। इसी मामले पर आज सुनवाई हुई।
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