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भारत में बिना आधार के नहीं चलेगा किसी का काम, SC ने इसे संवैधानिक माना

सुप्रीम कोर्ट ने संशोधनों के साथ आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है.

Updated on: 26 Sep 2018, 03:01 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने संशोधनों के साथ आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि आधार कार्ड संवैधानिक तौर पर लागू रहेगा और यह निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी. आज जस्टिस सीकरी ने इस मामले पर अपना फैसला पढ़ना शुरू किया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चों के स्कूल एडमिशन के लिए आधार ज़रूरी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि UGC, NEET और CBSE परीक्षा के लिए आधार अनिवार्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत में बिना आधार के अब किसी का काम नहीं चलेगा.

फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज अच्छी हो, कुछ अलग भी होना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है.

सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण बातें

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आधार से बड़े वर्ग को फायदा होगा. कोर्ट ने माना कि आधार आम आदमी की पहचान है. ऑथेंटिकेशन डाटा सिर्फ 6 महीने तक ही रखा जा सकता है और बायोमीट्रिक डेटा की नकल नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई मोबाइल और निजी कंपनी आधार नहीं मांग सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध प्रवासियों को आधार न दिया जाए. 

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पढ़ते वक्त कहा कि आधार से समाज के बिना पढ़े-लिखे लोगों को पहचान मिली है. कोर्ट का कहना है कि आधार का डुप्लीकेट बनाना संभव नहीं, साथ ही समाज के हाशिये वाले वर्ग को आधार से ताकत. 

आधार को लेकर कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने वाले महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी का कहना है, 'इस फैसले का असर बहुत दूर तक होगा, क्योंकि आधार बहुत-सी सब्सिडी से जुड़ा है. यह लूट और बरबादी को रोकने में भी कारगर है, जो होती रही हैं. मुझे उम्मीद है कि फैसला आधार के हक में आएगा. डेटा की सुरक्षा बेहद अहम है और सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि वह डेटा की सुरक्षा करेगी. इस सिलसिले में कानून भी लाया जा रहा है.

जस्टिस एके सिकरीने फैसला पढ़ते हुए कहा-

# आधार कार्ड और आइडेंटिटी के बीच फंडामेंटल अंतर है. एक बार बायोमीट्रिक जानकारी स्टोर होने पर सिस्टम में बनी रहेगी

# बेस्ट बनने से बेहतर है यूनिक बने रहना.

# आधार पर समाज में हाशिए पर पड़े व्यक्ति को सशक्त किया और उन्हें पहचान दी. आधार की डुप्लीकेसी नहीं हो सकती है. यह अन्य आईडी प्रूफ से अलग है

# आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है. यह बिलकुल सुरक्षित है.

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दूसरा सबसे लंबा मामला

10 मई को आधार पर फैसला सुरक्षित रखा गया था. अटॉर्नी जनरल  केके वेणुगोपाल ने बेंच को कहा था कि सुनवाई के दिनों के हिसाब से यह दूसरा सबसे लंबा मामला है. 1973 का केशवानंद भारती केस देश का सबसे बड़ा पहला मामला है.

कांग्रेस ने किया फैसले का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द करने के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया. यह धारा किसी भी निजी कंपनी को पहचान के उद्देश्य के लिए नागरिकों से आधार की मांग करने की इजाजत देती थी। पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, 'हम सर्वोच्च न्यायालय के आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द करने के फैसले का स्वागत करते हैं। निजी कंपनियां को अब पहचान के उद्देश्य के लिए आधार का प्रयोग करने की इजाजत नहीं होगी।'

अटॉर्नी जनरल ने ANI  से बातचीत के दौरान कहा, 'मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं. यह एक ऐतिहासिक फैसला है.'

अटॉर्नी जनरल ने ANI  से बातचीत के दौरान कहा, 'मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं. यह एक ऐतिहासिक फैसला है.'

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17 जनवरी को शुरू हुई थी सुनवाई

इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली. आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुना रही है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.