logo-image

SC/ST Act में किए गए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 6 हफ्तों में जवाब मांगा है।

Updated on: 07 Sep 2018, 04:15 PM

नई दिल्ली:

SC/ST Act  में किए गए बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से 6 हफ्तों में जवाब मांगा है। कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव के खिलाफ दायर कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस सरकार को जारी किया है। हालांकि कोर्ट ने  फिलहाल एक्ट में हुए संशोधन पर रोक लगाने से मना कर दिया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम में हालिया संशोधन को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। इस संशोधन के जरिए शिकायत की स्थिति में तत्काल गिरफ्तारी करने के प्रावधान को बहाल किया गया है। न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा, लेकिन इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा, "हम दूसरे पक्ष की बात सुने बगैर रोक नहीं लगा सकते हैं।"

अगली सुनवाई छह सप्ताह तक के लिए टाल दी गई है। याचिकाकर्ताओं, वकीलों पृथ्वी राज चौहान, प्रिया शर्मा और एक गैर सरकारी संगठन ने संसद के हाल में संपन्न हुए मॉनसून सत्र में किए गए संशोधन को चुनौती दी है, जिसके जरिए सांसदों ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले में तत्काल गिरफ्तारी पर प्रतिबंध के प्रावधान को हटा दिया।

याचिका में कहा गया है कि नया संशोधन समानता, जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन है। हालिया संशोधन की तुलना शाह बानो मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को पलटने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा लाए गए संशोधन से करते हुए याचिकाकर्ता वकीलों ने गिरफ्तारी करने के प्रवाधान को मनमाना बताया है और कहा कि इसका निर्दोष लोगों के खिलाफ दुरुपयोग किया जाएगा।

शाहबानो मामले में, शीर्ष अदालत ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला के भरण-पोषण के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन तत्कालीन सरकार इस फैसले को खत्म करने के लिए एक संशोधन ले आई, क्योंकि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ का उल्लंघन था। याचिकाकर्तरओ ने दलील दी है कि सरकार ने गठबंधन दलों और राजनीतिक लाभ के लिए दबाव में आकर और अगले वर्ष के लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा वोट बैंक खोने के डर से यह संशोधन किया।

बता दें कि गुरुवार को देश में कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी हुआ था। कई राज्यों में जीवन अस्त व्यस्त हो गया था। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में बंद का काफी असर देखने को मिला। कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर जाम लगा। इतना ही नहीं कई जगहों पर रेल पटरियों पर भी प्रदर्शनकारियों के प्रदर्शन के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बिहार और यूपी में कई जगहों पर SC/ST Act में किए गए बदलाव के विरोध में लोगों ने ट्रेनों को रोक दिया। कई ट्रेनें इसके चलते लेट चलीं और काफी देर से अपने गंतव्य पर पहुंचीं।

(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी)

क्या है एससी/एसटी एक्ट

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था। जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस कानून को लागू किया गया था। इस कानून के तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए है।

इन लोगों पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई है जिससे कि ये अपनी बात खुलकर रख सके। हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर उबाल उस वक्त सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रावधान में बदलाव कर इसमें कथित तौर पर थोड़ा कमजोर बनाना चाहा। 

सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था यह बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि इस तरह के मामले में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी।

डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।