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'लव जेहाद' के पहले मामले की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, NIA और केरल सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट कथित लव जेहाद के पहले मामले की सुनवाई करने को तैयार हो गया है। केरल में एक हिंदू महिला के इस्लाम अपनाने के बाद मुस्लिम लड़के से शादी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

Updated on: 05 Aug 2017, 08:48 AM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट कथित लव जेहाद के पहले मामले की सुनवाई करने को तैयार हो गया है
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लड़की के पिता, केरल सरकार और NIA को नोटिस जारी किया है
  • NIA की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट कथित लव जेहाद के पहले मामले की सुनवाई करने को तैयार हो गया है।

केरल में एक हिंदू महिला के इस्लाम अपनाने के बाद मुस्लिम लड़के से शादी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

धर्म परिवर्तन कर निकाह करने वाली हदिया उर्फ अखिला के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उसके पिता, केरल सरकार और NIA को नोटिस जारी किया है।

गौरतलब है कि केरल हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले को 'लव जेहाद' का मामला बताते हुए शादी रद्द करने का आदेश देते हुए महिला को उसके पिता के पास भेज दिया था।

महिला के पति ने केरल हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हदिया के पति शफीन का कहना है हदिया की उम्र 24 साल है और उसने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर शादी की है और कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता।

शफीन के वकील कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि केरल हाई कोर्ट ने एक पति को उसकी पत्नी से मिलने से रोक दिया।

दोनों ने चीफ जस्टिस जे एस खेहड़ और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ से लड़की को बुलाकर उससे उसका पक्ष जानने की कोशिश की। इसके साथ ही उन्होंने लड़की की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की।

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महिला के पिता के एम अशोकम को 24 घंटे के भीतर लड़की को पेश किए जाने का आदेश दिए जाने की मांग करते हुए जयसिंह ने कोर्ट से पूछा, 'क्या वह जिंदा है? आखिर पुलिस ने क्यों उसके घर की घेरेबंदी कर रखी है और उससे किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है?'

वहीं बचाव पक्ष की वकील माधवी दीवान ने कहा कि लड़की अपने माता-पिता की इकलौती संतान है और उसे एक बड़ी साजिश के तहत इस्लाम कबूल करवाया गया। उन्होंने कहा, 'अगर सबूतों को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट लड़की को बुलाना चाहता है तो उसके माता-पिता को कोई आपत्ति नहीं होगी।'

कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह को एनआईए की तरफ से पेश होने का आदेश दिया और अशोकम को 10 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज सौंपे जाने की अपील की। मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

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