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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला, हाईवे से 500 मीटर तक की सभी शराब की दुकानें होंगी बंद

सभी राज्य मार्गों और राष्ट्रीय राज्य मार्गों पर शराब की बिक्री अविलम्ब बंद की जाए।

Updated on: 15 Dec 2016, 07:50 PM

highlights

  • सड़क सुरक्षा से जुड़े एक एनजीओ ने हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटना का मसला उठाया गया था।
  • रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में देश भर में कुल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई।

नई दिल्ली:

सर्वोच्च न्यायालय ने शराबबंदी को लेकर एक नया ऐलान किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा हैं कि देश भर में नेशनल और स्टेट हाईवे पर 500 मीटर के दायरे में कोई शराब की दुकान नही होगी। 

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि सभी हाइवे पर चल रही शराब की दुकानों को बंद किया जाए। यानि अब से हाइवे पर शराब की बिक्री बंद हो जायेगी।

हालांकि फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने उन दुकानदारों को राहत भी दी है जिनके पास लाइसेंस की अवधि बची हुई है। लेकिन जैसे ही उनकी लाइसेंस की अवधि ख़त्म होगी उन्हें भी दुकान बंद करनी होगी। जो शराब की दुकाने फ़िलहाल चालू हैं, उन्हें अगले साल 1 अप्रैल तक बंद करना होगा।

हाईवे के नजदीक शराब की दुकानों का कोई भी नया लाइसेंस जारी नही होगा, साथ ही मौजूदा लाइसेंस का नवीनकरण भी नहीं किया जायेगा। इसके अलावा राजमार्ग के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड अब हटा दिये जायेंगे। 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सभी राज्य मार्गों और राष्ट्रीय राज्य मार्गों पर शराब की बिक्री अविलम्ब बंद की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी से कहा हैं कि वो एक्साइज और म्युनिसिपल ऑथोरिटी से बातचीत कर ये सुनिश्चित करे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाएं पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडू और पुदुच्चेरी से जुडी थीं।

हाइवे के नजदीक शराब की दुकान हटाने के हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ, राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले का असर पूरे देश पर पड़ेगा। 

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सुनवाई के दौरान अदालत में सड़क सुरक्षा से जुड़े एक एनजीओ ने हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटना का मसला उठाया गया था। एनजीओ की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि हाई वे के पास दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है।

केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में देश भर में कुल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई है, जिसमें 1 लाख 46 हज़ार लोगों ने जान गंवाई।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगस्त महीने में केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था। 7 दिसम्बर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के मुताबिक हर नागरिक को मिला जीवन का अधिकार बेहद अहम है। राज्यों को इसका सम्मान करते हुए अपनी आबकारी नीति में बदलाव करना होगा। 

ज़ाहिर है सभी तरह के हाईवे पर हाल के दिनों में दुर्घटना काफी बढ़ी है और ज़्यादातर मामले में दुर्घटना की वजह शराब होती है। ख़ासकर सर्दी के दिनों में इस तरह की घटनाएं और भी बढ़ जाती है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद से आने वाले दिनों में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयेगी।