राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, मध्यस्थता के लिए ये पैनल बनाया
मध्यस्थता के लिए 3 लोगों का पैनल बनाया गया है और 8 हफ्ते में मध्यस्थता पूरी करनी होगी. 4 हफ्ते में मध्यस्थता की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देनी होगी.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद केस को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है. मध्यस्थ की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से होगी और उसकी निगरानी भी सुप्रीम कोर्ट ही करेगा. मध्यस्थता के लिए 3 लोगों का पैनल बनाया गया है और 8 हफ्ते में मध्यस्थता पूरी करनी होगी. 4 हफ्ते में मध्यस्थता की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देनी होगी. मध्यस्थता के लिए श्री श्री रविशंकर, श्रीराम पंचू और जस्टिस एफएम इब्राहिम खलीफुल्ला का नाम तय किया गया है.
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जस्टिस खलीफुल्ला मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता करेंगे. एक हफ्ते में मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद से शुरू करनी होगी. मध्यस्थता की मीडिया रिपोर्टिंग से मना किया गया है. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू महासभा की ओर से सुझाए गए तीनों नाम को स्वीकार नहीं किया है. बता दें कि श्रीश्री रविशंकर एक बार पहले भी अपनी ओर से मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह मध्यस्थता के लिए बने पैनल के लोगों को पूरी सहूलियत उपलब्ध कराए. पैनल को जरूरत पड़ने पर विधिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी.
क्या है अयोध्या विवाद
अयोध्या जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट का क्या है फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन हिस्सों में 2.77 एकड़ जमीन बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा रामलला विराजमान को मिला, राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से कोई भी पक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. पहले रामलला विराजमान की तरफ से हिन्दू महासभा और फिर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बाद में कई और पक्षों ने अर्जी दायर की. अभी कुल 16 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
मध्यस्थता से क्या हल होगा
अयोध्या विवाद की मध्यस्थता के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने सभी पक्षों को सलाह दी है कि बातचीत से मामले को सुलझाया जाए. निर्मोही अखाड़े को छोड़कर रामलला विराजमान समेत हिंदू पक्ष के बाकी वकीलों ने मध्यस्थता का विरोध किया. मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार है. कोर्ट ने कहा है कि जल्द ही फैसला देंगे. सभी पक्षकारों से मध्यस्थ के नाम मांगे हैं.
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