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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, डिस्टेंस एज़ुकेशन के माध्यम से न हो टेक्निकल कोर्स, पहले की डिग्री होगी कैंसिल

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि इंजीनियरिंग जैसी तकनीकी पढ़ाई को दूरस्थ शिक्षा के जरिए नही किया जा सकता।

Updated on: 03 Nov 2017, 06:22 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेक्निकल एजुकेशन पर अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के नए फ़ैसले के मुताबिक कॉरेसपोंडेंस कोर्स यानी कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से टेक्निकल एजुकेशन हीं दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि वो इंजीनियरिंग जैसे विषय पत्राचार के माध्यम से ना कराएं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि इंजीनियरिंग जैसी तकनीकी पढ़ाई को दूरस्थ शिक्षा के जरिए नही किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट के नए फ़ैसले के मुताबिक 2001 से लेकर अब तक के वैसे छात्र जिन्होंने इन चारों डीम्ड यूनिवर्सिटी- जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज़ इन एज़ुकेशन राजस्थान, इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट और विनायक मिशन रिसर्च फॉउंडेशन तमिलनाडु से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है उन्हें रद्द कर दिया गया है।

हालांकि जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की दो सदस्यीय बेंच ने 2001-05 बेच के सभी छात्रों को राहत देते हुए उनसे AICTE (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एज़ुकेशन) एग्ज़ाम में लेने को कहा है। अगर वो इस परीक्षा में पास होते हैं तो तभी उन्हें डिग्री दी जाएगी।

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हालांकि वैसे यूनिवर्सिटीज़ जिन्होंने टेक्निकल कोर्सेज़ के लिए अप्रूवल नहीं लिया था उनको ये सुविधा नहीं दी जाएगी और उन सब की डिग्री रद्द मानी जाएगी।

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने भी दो साल पहले अपने फैसले में कहा था कि कंप्यूटर साइंस के कोर्स में किसी छात्र को कॉरेस्पोंडेंट कोर्स से मिली डिग्री को रेगुलर डिग्री के बराबर नहीं माना जा सकता।

वहीं ओडिशा हाई कोर्ट ने इंजीनियरिंग जैसी तकनीकी पढ़ाई को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से सही ठहराया था।

यानी कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी वहीं दूसरी ओर ओडिशा हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया।

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