सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन की आखिर जमानत क्यों की रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों किया बाहुबली नेत शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने का फैसला
नई दिल्ली:
क्यों फिर से जेल जा रहे हैं बाहुबली नेता शहाबुद्दीन
शहाबुद्दीन को हाइकोर्ट से जमानत मिलने के बाद ही चंदा बाबू ने सबसे पहले सवाल उठाया। आपको बता दें कि चंदा बाबू के तीन बेटों को कत्ल करने का आरोप शहाबुद्दीन पर है। जिसमें दो बेटों को शहाबुद्दीन ने तेजाब डालकर काट डाला था। इसी कत्ल के इल्ज़ाम में शहाबुद्दीन जेल में था। पिछले एक साल से शहाबुद्दीन का ट्रायल रुका हुआ था जिसके चलते उसे कोर्ट से बेल मिली। लेकिन, इसके पीछे की कहानी अदालत से बाहर राजनीति की बिसात पर खेली गई। ये बिसात लालू यादव ने बिछाई थी। इस कहानी पर आने से पहले ये बता दें कि शहाबुद्दीन की बेल की मुखालफत करते हुए सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होने न्याय की दुहाई देते हुए कोर्ट में गुहार लगाई कि ऐसा खूंखार अपराधी खुलेआम कैसे घूम सकता है। अब आते हैं इस पूरे मामले के राजनीतिक पहलू पर।
शहाबुद्दीन के जेल से रिहा होते ही बिहार की नीतीश सरकार पर भी जंगल राज के आरोप लगे। जेल से रिहा होने के तुरंत बाद शहाबुद्दीन ने खुद मुख्यमंत्री नितीश कुमार को निशाना बनाते हुए ताना कसा था कि वो तो परिस्थितियों के सीएम हैं। आम जनता के बीच ये राय कायम होने लगी कि शहाबुद्दीन लालू यादव की तिकड़म के चलते जेल से बाहर होने में कामयाब हुए हैं। शहाबुद्दीन लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के चार बार सांसद रह चुके हैं। नीतिश पर दबाव था कि वो शहाबुद्दीन के मसले पर लालू यादव के आगे झुक गये। उनकी अपनी छवि पर बट्टा लगने लगा। इस बीच चंदा बाबू सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। नीतिश नें मामले की गरिमा समझी और चंदा बाबू की तर्ज पर बिहार सरकार ने भी शहाबुद्दीन के बेल की मुखालफत करते हुये सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी डाल दी।
वहीं 19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की नीतीश सरकार पर शहाबुद्दीन मामले में सोए रहने का आरोप लगया। कहा कि उसने पहले ही सावधानी क्यों नहीं बरती और शहाबुद्दीन को जमानत कैसे मिल गई। इस पूरे मामले का पटाक्षेप यूं हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन की ज़मानत रद्द कर दी और उसे वापस जेल में डालने के आदेश दे दिये। शहाबुद्दीन के पास सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
जानना चाहते हैं कि अपराध की दुनिया का कितना बड़ा डॉन है शहाबुद्दीन तो डालिये एक नज़र उसके इस कच्चे-चिठ्ठे पर।
आखिर शहाबुद्दीन के कितने गुनाह हैं ....
1. 1996 में लोकसभा चुनाव के में बूथ पर गड़बड़ी फैलाने के आरोप में तत्कालीन एसपी एसके सिंघल शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने गए लेकिन डॉन ने सिंघल के आदमियों ने सिंगल पर गोलियां चलवा दी जिससे बाल बाल बचे सिंघल
2. साल1997 में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चंद्रशेखर(चंदू) और वरिष्ठ नेता श्याम नारायण की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। और इस हत्या का आरोप शहाबुद्दीन पर लगा जिसके बाद गिरफ्तारी भी हुई मगर आरोप साबित नहीं हो पाया।
3. साल 2001 में पुलिस ने मनोज और शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी करने के मकसद से उसके घर पहूँची थी। मगर छापे की इस कार्रवाई में गोलीबारी हुई और पुलिस कर्मियों समेत 10 लोग मारे गए। मौके से पुलिस को 3 एके-47 भी बरामद हुई थी जिसके बाद शहाबुद्दीन पर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे।
4. साल 2004 को सीवान एक व्यवसायी चंदा बाबू के दो बेटों सतीश राज और गिरीश राज का अपहरण हुआ बाद में तेजाब से नहला कर दोनों की हत्या कर दी गयी। इस मामले में तत्कालीन सांसद मो. शहाबुद्दीन को मुख्य आरोपी बने। दोनों के तीसरे भाई राजीव रौशन को घटना का चश्मदीद गवाह बताया गया था।
5. साल 2014 को सीवान के डीएवी कॉलेज के रस्ते में राजीव रौशन नाम के व्यक्ति को गोली मारकर दी गई और इस मामले के आरोपी शहाबुद्दीन और उनके बेटे ओसामा थे। वहीं हत्या के सबूत मिटाने के जुर्म में शहाबुद्दीन के नाम है।
शहाबुद्दीन के बेल मिलने से बिहार की राजनीति में जो उथल-पुथल हुआ, वो शायद अब शांत पड़े।
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