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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 36 घंटे में वेबसाइट्स से डिलीट हो लिंग परीक्षण के विज्ञापन

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लड़कों की शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। देश को लड़कों और लड़कियों के बारे में जानकारी देने की कोई जरूरत नहीं है।

Updated on: 16 Nov 2016, 11:30 PM

highlights

  • सर्च इंजन को लिंग परीक्षण संबंधी विज्ञापन डिलीट करने का आदेश
  • सुप्रीम कोर्ट ने 36 घंटे का दिया समय
  • 17 फरवरी को मामले की अंतिम सुनवाई

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सर्च इंजन गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को वेबसाइट्स पर लिंग परीक्षण को लेकर दिए जा रहे विज्ञापनों को डिलीट करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 36 घंटे का समय दिया है। वहीं, 17 फरवरी को मामले की अंतिम सुनवाई होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि यह बैन सूचना के अधिकार का उल्लंघन है या नहीं।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भारत में लिंग परीक्षण संबंधित विज्ञापनों की शिकायत दर्ज करने के लिए नोडल एजेंसी का गठन करने आदेश भी दिया है, ताकि वेबसाइट्स को मॉनिटर किया जा सके।

जस्टिस दीपक मिश्रा और अमित्व राव की बेंच ने कहा कि नोडल एजेंसी इन सभी सर्च इंजन को लिंग परीक्षण संबंधित विज्ञापनों की जानकारी देगी। इसके बाद गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट इन्हें 36 घंटे के अंदर डिलीट करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लड़कों की शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। देश को लड़कों और लड़कियों के बारे में जानकारी देने की कोई जरूरत नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वेबसाइट्स पैसा कमा रही हैं या नहीं। लेकिन, लिंगानुपात को प्रभावित करने वाले विज्ञापन नहीं दिखाए जाएंगे। यह विज्ञापन साल 1994 में बने प्री कॉन्सेप्शन एंड प्री-नटाल डाइग्नॉस्टिक टेक्निक्स (PNDT) एक्ट का उल्लघंन है।