सजायाफ्ता MLA और MP के आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी पर रुख साफ करे EC: SC
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, 'आप अपना पक्ष साफ क्यों नहीं करते कि सजा पाने वालों पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी का समर्थन करते है या नही?'
highlights
- आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपनी स्थिति साफ़ करने के कहा है
- चुनाव आयोग ने कहा था कि वो सजायाफ्ता एमएलए या एमपी पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी नहीं चाहते हैं
नई दिल्ली:
आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता एमएलए (विधायक) या एमपी (सांसद) पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपनी स्थिति साफ़ करने के कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, 'आप अपना पक्ष साफ क्यों नहीं करते कि सजा पाने वालों पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी का समर्थन करते है या नही?'
इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि वो सजायाफ्ता एमएलए या एमपी पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी नहीं चाहते हैं।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, 'आपने अपने हलफ़नामे में कहा कि आप याचिका का समर्थन करते हो ? लेकिन अभी सुनवाई के दौरान आप कह रहे हो कि आपने बस राजनीति से अपराधीकरण की मुक्ति को लेकर समर्थन किया है। इसके मायने क्या माने जाएं?'
Lifetime ban on convicted and chargesheeted MPs and MLAs case: EC tells SC it did not want a permanent ban on convicted MPs and MLAs
— ANI (@ANI_news) July 12, 2017
बता दें कि भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी। अपनी याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने मांग की है कि वैसे नेता या नौकरशाह जिनके ख़िलाफ़ मुकदमे की सुनवाई चल रही है उसे एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाया जाये।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ करेगी आधार से जुड़े मामलों की सुनवाई
याचिका में ये भी कहा गया है कि सजायाफ़्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा 'आप खमोश क्यों हैं? देश के एक नागरिक ने याचिका दाखिल की है और कहा है कि ऐसे लोगों पर आजीवन पाबंदी लगानी चाहिए आप इसका समर्थन करते हैं या विरोध, जो भी है उसका जवाब हां या न में दें।'
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ये भी कहा कि क्या विधायिका आपको इस मुद्दे पर कुछ कहने से रोक रही है तो आप कोर्ट को बताएं।
दरअसल चुनाव आयोग ने हलफनामे में याचिका का समर्थन किया था लेकिन सुनवाई के दौरान उसका कहना था कि इस मुद्दे पर विधायिका ही फैसला कर सकती है। मामले पर अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।
आधार को चुनौती देने वाली याचिका को संवैधानिक बेंच भेजने पर SC की सहमति
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