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समलैंगिक संबंध: सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर किए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।

Updated on: 23 Apr 2018, 02:26 PM

highlights

  • SC ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा
  • याचिकाकर्ता केशव सूरी ने धारा 377 को खत्म करने की मांग की
  • इसी मामले पर अन्य याचिकाओं के साथ होगी इस याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर किए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर, और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई संवैधानिक बेंच के सामने पहले से इसी मामले पर दाखिल दूसरी याचिकाओं के साथ की जाएगी।

याचिकाकर्ता होटल व्यवसायी केशव सूरी ने दो समलैंगिकों के संबंधों को अपराध से बाहर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ता ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी जो कि समलैंगिक संबंधों को आपराधिक बताता है।

केशव सूरी ने याचिका में कहा था कि वह लगातार दवाब में हैं और सम्मान के साथ जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं, जहां वे अपने पसंद के साथ यौन संबंध बना सके।

इससे पहले भी इस धारा 377 को खत्म करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने कई याचिकाएं दायर की जा चुकी है लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया।

साल 2009 में दिल्ली हाई कोर्ट ने धारा 377 को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था लेकिन बाद में इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने खारिज कर दिया था।

विवादित धारा 377 एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के संबंधों पर प्रतिबंध लगाती है जो कि 'प्राकृतिक' नहीं है।

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