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जब पीओके में घुसकर सेना ने किया 'सर्जिकल स्ट्राइक', इंतज़़ार था तो बस अमावस्या की रात का... जानें कहानी!

लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर भारतीय सेना के जांबाज 19 फौलादी सैनिकों ने अंजाम दिया था ऑपरेशन 'सर्जिकल स्ट्राइक'।

Updated on: 29 Sep 2017, 07:42 AM

नई दिल्ली:

28-29 सिंतबर की आधी रात, सेना के 19 जाबांजों ने हिंदुस्तानी आर्मी के हौसलों की अमर कहानियों में एक और अध्याय जोड़ दिया। आसमान से दुश्मन पर सटीक हमले के लिए दुनिया भर में मशहूर सेना की विशिष्ट टुकड़ी 'पैराशूट रेजीमेंट' के बहादुर सैनिक अफसरों दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय सेना किसी से कम नहीं और देश की आन-बान-शान के खिलाफ जुर्रत करने के दुश्मनों को किसी हाल में छोड़ने वाली नहीं...

लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में घुसकर भारतीय सेना के 19 फौलादी सैनिकों ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। देश के इन बहादुर बेटों को सरकार ने बदले में 26 जनवरी को मेडल्स से नवाजा है।

ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक

यूं तो सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग और उसे अंजाम देने में एक बहुत बड़ी टीम ने अहम भूमिका निभाई लेकिन दुश्मन की नाक के नीचे उसकी छत्रछाया में पल रहे आंतकियों के लॉन्च पैड को तबाह इन्हीं 19 जवानों ने किया।

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दरअसल पैरा रेजिमेंट की चौथी और नवीं बटालियन के एक कर्नल, पांच मेजर, दो कैप्टन, एक सूबेदार, दो नायब सूबेदार, तीन हवलदार, एक लांस नायक और चार पैराट्रूपर्स ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।

इस सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी रौंगटे खड़े कर देने वाली है। चौथे पैरा के अफसर को सरकार ने कीर्ति चक्र और कमानडिंग अफसर को युद्ध सेवा मेडल दिया गया है। सरकार ने इस टीम को 4 शौर्य चक्र, 13 सेवा मेडल भी दिए हैं। इसके अलावा सरकार ने और भी कई सम्मानों से इन जाबांज सैनिकों को नवाज़ा है।

आतंकियों को मिला उरी हमले का जवाब

जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना मुस्तैद हो गई थी और आतंकियों को सबक सिखाने के लिए उसकी पनाहगार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित टेरर लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनानी शुरु कर दी थी।

जब सेना को इंतज़ार था अमावस्या की रात का

मिशन को अंजाम देने के लिए सेना ने अमावस्या की रात का इंतजार किया। आखिरकार वह घड़ी आई और 28-29 सितंबर की रात मेजर (सुरक्षा कारणों से नाम नहीं दिया गया है) की अगुवाई में 8 कमांडो वाली टीम आतंकियों को सबक सिखाने के लिए रवाना हुई।

टीम मेजर वन

मेजर की टीम ने पहले इलाके की रेकी की। मेजर ने टीम को आदेश दिया कि वे आतंकियों को उनके एक लॉन्चपैड पर खुले इलाके में ललकारें। मेजर और उनके साथी दुश्मन के 50 मीटर के दायरे के अंदर तक पहुंचे और वहां मौजूद दो आतंकियों को तुरंत ढेर कर दिया।

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इसके बाद तुरंत मेजर को पास के जंगलों में हलचल महसूस हुई। यहां पर दो संदिग्ध जिहादी मौजूद थे। उनकी हर हलचल पर यूएवी की मदद से नजर रखी जा रही थी। मेजर ने सुरक्षा की चिंता किए बगैर दोनों आतंकियों को पास से चुनौती दी और दोनों को मौके पर ही ढेर कर दिया।

टीम मेजर टू

दूसरे मेजर की ज़िम्मेदारी थी कि इन लॉन्चपैड्स पर नजदीक से नजर रखें। दूसरा मेजर अपनी टीम के साथ हमले के 48 घंटे पहले ही एलओसी पार कर चुका था। इसके बाद इनकी टीम ने दुश्मन की हर हलचल पर पैनी निगाह रखी और इलाके का नक्शा तैयार किया।

दुश्मनों के ऑटोमैटिक हथियारों की तैनाती की सटीक जगह पता की और उन जगहों की भी जानकारी जुटाई, जहां से देश के जवान मिशन के दौरान छिपकर दुश्मन पर फायरिंग कर सकें। इस दूसरे मेजर ने दुश्मन के एक हथियार घर को तबाह कर दिया। इस घर में दो आतंकी मारे गए।

तभी हमले के दौरान दूसरे मेजर और उनकी टीम पास के एक दूसरे हथियार घर से हुई फायरिंग की चपेट में आ गई। मेजर तिनक भी डरे बगैर अपनी टीम को ख़तरे से बचाने के लिए खुद ही अकेले ही रेंगते हुए इस दूसरे हथियार घर तक पहुंचे और फायरिंग कर रहे आतंकी को खत्म कर दिया। इस अफसर को सरकार ने अदम्य वीरता और साहस के लिए शौर्य चक्र प्रदान किया है।

टीम मेजर थ्री

जबकि तीसरा मेजर अपने साथी के साथ एक आतंकी पनाहगार तक पहुंचे और उसे तबाह कर दिया। इस हमले में उस समय वहां सो रहे सभी जिहादी मारे गए। अब इस तीसरे मेजर ने उस वक्त वहां पर हमला करने वाली दूसरी टीमों के सदस्यों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। यह तीसरे मेजर इस ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी भारतीय सेना के आला अधिकारियों को बता भी रहे थे। इस तीसरे मेजर को सरकार ने शौर्य चक्र प्रदान किया है।

टीम मेजर फोर

चौथे मेजर ने दुश्मनों के ऑटोमैटिक हथियार से लैस ठिकाने को बेहद करीब से ग्रेनेड हमले के ज़रिए तबाह कर दिया। इस हमले में दो आतंकी मारे गए। इनकी वीरता के लिए सरकार ने चौथे मेजर को सेना मेडल दिया है। सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के दौरान ऐसा समय आया जब हमला करने में जुटी भारतीय सेना की एक टीम आतंकियों की ज़बरदस्त गोलाबारी में घिर गई।

टीम मेजर फाइव

तब पांचवें मेजर ने 3 आतंकियों को रॉकेट लॉन्चर्स के साथ देखा। ये आतंकी चौथे मेजर की ऑपरेशन में ख़त्म करने में जुटी टीम को निशाना बनाने वाले थे। इससे पहले की यह आतंकी उन पर धावा बोल पाते पांचवे मेजर ने इन आंतकियों पर धावा बोल दिया। शेर की तरह इन आतंकियों पर झपटे पांचवे मेजर ने तुरंत दो आतकियों को मार गिराया, जबकि तीसरे आतंकी को मेजर के साथी ने मार दिया।

जूनियर अधिकारी के हैरतंगेज हौसले 

यह मिशन सिर्फ बड़े अधिकारियों का ही नहीं था। मिशन में शामिल जूनियर अफसर्स और पैराट्रूपर्स ने भी गज़ब की हिम्मत, मुस्तैदी और साहस दिखाया। इस ऑपरेशन में शामिल एक नायब सूबेदार ने आतंकियों के एक ठिकाने को ग्रेनेड से मिटा डाला। नायब सूबेदार की इस हिम्मती कार्यवाही में दो आतंकी मारे गए।

जब नायब सूबेदार ने एक आतंकी को अपनी टीम पर फायरिंग करते हुए देखा तो पहले सूबेदार ने अपने साथी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और फिर आतंकी पर हमला कर दिया। इस नायब सूबेदार को सरकार ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया है।

गर्व और सम्मान की बात यह है कि इस बेहद मुश्किल और जान हथेली पर लेकर कर उतरे भारतीय सेना के सभी जवान सुरक्षित देश लौट आए। इस ऑपरेशन में शामिल टीम का एक सदस्य ज़रुर घायल हो गया लेकिन उसकी हिम्मत और हौसले ने इस चोट को बहुत बौना बना दिया।

दरअसल इस जवान ने देखा कि दो आतंकी हमला करने वाली टीम के नज़दीक आ रहे हैं। पैराट्रूपर ने इन आतंकवादियों का पीछा करना शुरु किया। इस दौरान गलती से उसका पांव एक माइन पर पड़ गया। धमाके में उसका दायां पंजा उड़ गया।

बावजूद इसके अपनी चोट की परवाह किए बगैर पैराट्रूपर ने उन आतंकियों का सामना किया और एक को तुरंत ढेर कर दिया।

(ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक मिशन में शामिल सैनिकों के नाम सुरक्षा दृष्टि से नहीं लिखे गए हैं।)