केरल में आज खुलेगा भगवान अय्यप्पा का मंदिर, विरोध में महिला ने की ख़ुदकुशी की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुछ महिलाओं का समूह लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है. मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में एक महिला ने कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ पेड़ से लटककर आत्महत्या करने की कोशिश की.
नई दिल्ली:
केरल में मासिक पूजा के लिए भगवान अय्यप्पा का मंदिर बुधवार से खुल रहा है. हालांकि, इससे पहले ही सबरीमाला मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार माने जाने वाले निलाकल में तनाव जोरों पर हैं. सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुछ महिलाओं का समूह लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है. मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में एक महिला ने कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ पेड़ से लटककर आत्महत्या करने की कोशिश की. हालांकि वहां के स्थानीय लोगों ने महिला को बचा लिया.
मंगलवार को भक्तों ने 'प्रतिबंधित' उम्र वर्ग की महिलाओं को लेकर मंदिर की तरफ से जाने वाले वाहनों को रोक दिया. बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी उम्रवर्ग की महिलाओं के लिए इस मंदिर को पहली बार बुधवार से खोला जा रहा है.
Kerala: A woman attempted to hang herself from a tree in Thiruvananthapuram in protest against the Supreme Court's verdict over the entry of women of all age group in #SabarimalaTemple. She was saved by locals and the police. pic.twitter.com/HAth1nj0eB
— ANI (@ANI) October 16, 2018
रहाड़ी पर स्थित सबरीमाला मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर आधार शिविर निलाकल में परंपरागत साड़ी पहने महिलाओं के समूह को प्रत्येक वाहनों को रोकते देखा जा सकता है. इनमें वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं. निजी वाहनों के अलावा श्रद्धालुओं ने केरल राज्य पथ परिवहन निगम की बसें भी रोकीं और उनमें से युवतियों को बाहर निकलने को कहा. जब इस तरह की घटनाएं हुईं, तब वहां बहुत कम पुलिसवाले तैनात थे.
सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने के बाद मचे बवाल पर केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानेंगे. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, 'हम किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं देंगे. सरकार सबरीमाला मंदिर जाने वाले भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखेगी.' सीएम ने आगे कहा, 'सरकार मामले में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी. हमने कोर्ट में कह चुके हैं कि आदेश को लागू किया जाएगा.' बता दें कि बुधवार को मंदिर के दरवाजे खुलने हैं.
एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, ‘प्रतिबंधित उम्र 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को निलाकल से आगे नहीं जाने दिया जाएगा और उन्हें मंदिर में पूजा भी नहीं करने दी जाएगी.’ मंदिर को मलयालम थुलाम महीने में पांच दिन की मासिक पूजा के बाद 22 अक्टूबर को बंद कर दिया गया था.
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