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दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग पर कांग्रेस में फूट, सहयोगी दल भी समर्थन में नहीं

भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने को कांग्रेस पार्टी के कदम को लेकर पार्टी में ही फूट पड़ गई है। इसके अलावा सहयोगी दल भी इसके समर्थन में नहीं हैं।

Updated on: 21 Apr 2018, 07:59 AM

नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने को कांग्रेस पार्टी के कदम को लेकर पार्टी में ही फूट पड़ गई है। पार्टी के कई नेता जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने के पक्ष में नहीं हैं। इसके साथ ही कई सहयोगी दलों ने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया है।

जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने को लेकर कांग्रेस पिछले कई महीनों से हां और ना कि स्थिति में रही है। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट को जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद विपक्ष महाभियोग लाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन कांग्रेस ने बाद मेें इससे हाथ पीछ खींच लिये थे। 

जस्टिस लोया की मौत को लेकर गुरुवार को आए फैसले पर कांग्रेस ने नाराज़गी जताई और उसके बाद से उसने जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रस्ताव का समर्थन कर दिया है।

हालांकि कांग्रेस में इस फैसले को लेकर पार्टी के ही कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। लेकिन इस पर खुलकर बोलने के लिये कोई तैयार नहीं है।

सलमान खुर्शीद ने कहा, 'महाभियोग एक गंभीर मामला है जिसे सिर्फ इस आधार पर उठाया जाए कि आप कोर्ट के किसी फैसले या टिप्पणी से सहमत नहीं है।'

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उन्होंने कहा, 'मेरे लिए यह कहना ठीक नहीं होगा कि महाभियोग को लेकर तैयार किया गया आधार उचित है या नहीं, क्योंकि मैं उस चर्चा में शामिल नहीं हूं, जो पार्टियों के बीच जारी है।'

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कई नेता इस प्रस्ताव के समर्थन में नहीं हैं।

न सिर्फ खुर्शीद बल्कि कांग्रेस के कई नेता पार्टी के सीजेआई के खिलाफ महाभियोग लाने के फैसले के खिलाफ हैं। इसके अलावा कई विपक्षी दलों ने भी इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।

सूत्रों का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी महाभियोग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है।

पार्टी के प्रवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी पार्टी को महाभियोग लाने से मना किया था। लेकिन उन्हें पार्टी के दबाव में हस्ताक्षर करना पड़ा है।

उप राष्ट्रपति को सौंपा गया प्रस्ताव

कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति एम.वेकैंया नायडू से मुलाकात कर मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव सौंपा।

नोटिस देने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी। प्रेस कांफ्रेंस में आजाद ने कहा कि हम सीजेआई दीपक मिश्रा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव ला रहे हैं।

आजाद ने कहा, 'विपक्षी दलों ने भारतीय संविधान के धारा 124 सहित धारा 270 के तहत सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव लाया है।' 

उन्होंने कहा कि सीजेआई के खिलाफ इस प्रस्ताव  पर 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, लेकिन 7 रिटायर हो चुके हैं, अब केवल 64 हैं। 

महाभियोग लाने को लेकर शुक्रवार को हुई बैठक में कांग्रेस के गठबंधन में शामिल आरजेडी और पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया।

बीजेडी पहले भी जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए जाने वाले महाभियोग के खिलाफ रही है।

टीएमसी और डीएमके नहीं हैं साथ

तृणमूल कांग्रेस के सूूत्रों का कहना है कि राजनीतिक और जमीनी हकीकत के कारण पार्टी इस महाभियोग से दूर है। हालांकि पार्टी पहले इस महाभियोग के पक्ष में थी।

इसके साथ ही महाभियोग एक लंबी प्रक्रिया है। जस्टिस मिश्रा का कार्यकाल अक्टूबर में खत्म हो रहा है और उनके खिलाफ को 'ठोस सबूत' नहीं है। 

इसी तरह से डीएमके भी महाभियोग को लेकर इंतज़ार कर रही है कि इसका क्या हश्र होता है। दरअसल वो इस मसले के सदन में आने तक इंतजार करेगी। 

वहीं एआईएडीएमके ने साफ मना कर दिया है कि पार्टी महाभियोग का समर्थन नहीं करेगी।  

पहले भी विपक्ष ने की थी महाभियोग लाने की कोशिश

इसके पहले सीजेआई के खिलाफ जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने कोर्ट के काम करने के तरीके के साथ ही बेंच गठित करने और मामले को सौंपने को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की थी। जिसमें जस्टिस बीएच लोया की मौत मामले की सुनवाई को लेकर भी इन जजों ने असंतोष जताया था।

जिसके बाद वामदलों ने जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने को कवायद की थी और कांग्रेस भी इसमें शामिल हुई थी। लेकिन बाद में कांग्रेस महाभियोग लाने के प्रस्ताव से पीछे हट गई थी। 

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