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नोटबंदी: जन धन खातों में गड़बड़ियों की जांच करेगी नीति आयोग की टीम

नीति आयोग की टीम बिग डेटा एक्सपर्ट्स करेंगे जन धन खातों की पड़ताल, नोटबंदी के बाद गड़बड़ी की आशंका वाले खाते होंगे रडार पर!

Updated on: 24 Jan 2017, 01:27 PM

highlights

  • नोटबंदी के बाद जन धन खातों में हुई गड़बड़ियों की जांच नीति आयोग की टीम बिग डेटा एक्सपर्ट्स करेगी
  • नीति आयोग ने इसकी ज़िम्मेदारी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बैंग्लुरु के फैकल्टी मेंबर और डेटा एनालिटिक्स एक्सपर्ट पुलक घोष को दी है। 

नई दिल्ली:

नोटबंदी के बाद जनधन खातों में जमा हुए पैसों और उनके ट्रांसेक्शन्स की जांच अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के बजाए नीति आयोग के बिग डेटा एक्सपर्ट्स करेंगे। यह टीम उन खातों की जांच करेगी जिसमें नोटबंदी के बाद बड़ी मात्रा में पैसे जमा हुए और जिनमें गड़बड़ी की आशंका है।

नीति आयोग ने इसकी ज़िम्मेदारी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बैंग्लुरु के फैकल्टी मेंबर और डेटा एनालिटिक्स एक्सपर्ट पुलक घोष को दी है। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है कि यह टीम नोटबंदी के बाद जन धन खातों में हुई गड़बड़ियों का पता लगाएगी।

उन्होंने ही यह जानकारी दी है कि पुलक घोष नीति आयोग के डेटा ऐनालिटिक सेल का हिस्सा होंगे। टीम के प्रमुख नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) अवीक सरकार हैं। 

 

अधिकारी ने बताया है कि, 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद शुरु हुई जन धन खातों में जाली ट्रांजेक्शंस का पता लगाने के लिए नीति आयोग के डेटा ऐनालिटिक सेल ने सभी बैंकों के ट्रांजेक्शन डिटेल्स की जानकारी मांगी है।' 

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आंकड़ों पर अगर नज़र डालें तो पिछले वर्ष 2-30 अक्टूबर के बीच 32 लाख जन धन खातों में 646 करोड़ रुपये जमा हुए थे। नवंबर में नोटबंदी के बाद 30 नवंबर तक जन धन खातों में डिपॉजिट 29,000 करोड़ रुपये बढ़कर 74,321 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जोकि 2 नवंबर को 45,302 करोड़ रुपये था।

गौरतलब है कि देश के सभी लोगों को बैंक से जोड़ने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना लॉन्च की गई थी। इन खातों में जमा दर सीमा 50,000 रुपये है।

लेकिन, नोटबंदी के बाद जनधन खातों का इस्तेमाल काला धन रखने वाले लोगों द्वारा करने की आशंका के चलते आरबीआई ने इन खातों से निकासी सीमा 10,000 रुपये प्रतिमाह कर दी थी। जिसके बाद दिसंबर अंत तक जन धन खातों में जमा रकम घटकर 71,036 करोड़ रुपये हो गई थी।

नीति आयोग के इस कदम की सराहना करते हुए इंफोसिस के पूर्व बोर्ड मेंबर टी वी मोहनदास पाई ने कहा है कि, 'बैंकिंग सिस्टम में फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए बिग डेटा और एनालिटिक्स काफी मददगार हो सकते हैं।'

वहीं रिपोर्ट् के मुताबिक आईआईएम बैंगलोर ने भी पुलक घोष की नीति आयोग में नियुक्ति की पुष्टि की है। आईआईएम बैंगलोर को जॉइन करने से पहले घोष अमेरिका की जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी और एमोरी यूनिवर्सिटी, अटलांटा में प्रोफेसर थे।

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