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स्पीकर बनते ही ओम बिड़ला ने दिया बीजेपी सांसदों को अब तक का सबसे बड़ा झटका!

स्पीकर ओम बिड़ला ने कड़े शब्दों में बीजेपी समेत एनडीए सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा है कि सदन के भीतर धार्मिक नारेबाजी या विपक्षी सांसदों की हूटिंग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

Updated on: 20 Jun 2019, 01:10 PM

highlights

  • अब संसद में 'जय श्रीराम' और 'अल्लाह-ओ-अकबर' के नारे नहीं लग सकेंगे.
  • विपक्षी सांसदों को भी संसदीय गरिमा के अनुरूप व्यवहार करने के निर्देश.
  • धरना-प्रदर्शन की उचित जगह संसद नहीं सड़क है.

नई दिल्ली.:

17वीं लोकसभा के स्पीकर का पदभार ग्रहण करते ही ओम बिड़ला (Om Birla) ने सत्ता पक्ष को करारा झटका दिया है. उन्होंने कड़े शब्दों में बीजेपी समेत एनडीए सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा है कि सदन के भीतर धार्मिक नारेबाजी (Religious Slogans) या विपक्षी सांसदों की हूटिंग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस चेतावनी का मतलब यह हुआ कि अब लोकसभा के अंदर 'जय श्रीराम' या 'अल्लाह-ओ-अकबर' के नारे नहीं लग सकेंगे. साथ ही विपक्षी सांसद (Opposition) भी संसदीय गरिमा के अनुरूप ही व्यवहार कर सकेंगे.

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सदन की कार्यवाही से हटाए गए धार्मिक नारे
गौरतलब है कि ट्रेजरी बैंच (Treasury Benches) की ओर से यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) समेत तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की शपथ के दौरान 'जय श्रीराम' के नारे लगाए गए थे. इसके प्रतिउत्तर में ओवैसी ने भी 'अल्लाह-ओ-अकबर' का नारा लगाया था. साथ ही तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने भी शपथ लेने के बाद जवाबी नारेबाजी की थी. यही नहीं, विपक्षी और सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों द्वारा शपथ लेने के दौरान हूटिंग (Hooting) भी की गई थी. प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार ने इस पर आपत्ति लेते हुए इस नारेबाजी को सदन की कार्यवाही से हटा दिया था.

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इस तरह के विरोध के लिए सड़क उचित जगह
अब नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन के भीतर धार्मिक नारेबाजी पर ही रोक लगा दी है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार उन्होंने इस निर्देश पर दो टूक कहा है, 'मुझे नहीं लगता कि इस तरह की नारेबाजी के लिए संसद (Parliament) उचित स्थान है. यही बात वेल (Gallery) में आने और नारे लिखी तख्तियां दिखाने पर भी लागू होती है. इन सारी चीजों के लिए सदन के बाहर सड़क है, जहां पहुंचकर वह धरना-प्रदर्शन (Agitation) कर सकते हैं. सदन के भीतर सत्ता पक्ष पर विपक्ष जो चाहे आरोप लगा सकता है. अपनी हर बात कह सकता है. जुबानी तीर से सरकार पर वार कर सकता है. लेकिन, सांसद गैलरी में आकर नारेबाजी या तख्तियों को दिखाकर हंगामा नहीं कर सकते हैं. सदन की अपनी गरिमा है और उसे बरकरार रखने की जिम्मेदारी प्रत्येक सांसद की है.'

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संसद की गरिमा हर हाल में बनाई रखी जाएगी
यह पूछे जाने पर कि क्या वह आश्वस्त है कि अब भविष्य में सदन के भीतर इस तरह की नारेबाजी या हंगामा नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता, लेकिन मैं नियम-कायदों (Parliamentry rules) से लोकसभा की कार्रवाई चलाने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा.' उन्होंने आगे कहा कि 'जय श्रीराम', 'जय भारत' और 'वंदे मातरम' का उद्घोष देश-काल-परिस्थितियों पर निर्भर करता है. यह कहां तक उचित है, यह तय करना स्पीकर की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति का काम है. ओम बिड़ला ने कहा, 'मेरे विचार इस मसले पर बिल्कुल स्पष्ट है. संसद लोकतंत्र (Democracy) का मंदिर है. इस मंदिर (Temple) की कार्रवाई संसदीय नियमों के अनुरूप ही चलनी चाहिए. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. ऐसे में सभी की निगाहें हमारी ओर लगी रहती है. हमें इसकी गरिमा को हर हाल में ध्यान रखना ही होगा.'