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सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में सभी 22 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- सबूत और गवाह संतोषजनक नहीं

सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में 13 साल बाद शुक्रवार को फैसला आने की संभावना है.

Updated on: 21 Dec 2018, 03:25 PM

नई दिल्ली:

सीबीआई की विशेष अदालत ने गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या किए जाने के मामले में सभी 22 आरोपियों को शुक्रवार को बरी कर दिया. सीबीआई के विशेष जज एसजे शर्मा ने कहा कि अभियोजन पक्ष कथित साजिश को साबित करने के लिए किसी भी प्रकार के दस्तावेजी और ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा है. आरोपियों में 21 गुजरात और राजस्थान पुलिस के कनिष्ठ स्तर के कर्मी हैं. 22वां आरोपी गुजरात के फार्म हाउस का मालिक है जहां कथित रूप से हत्या किये जाने से पहले शेख और कौसर बी को अवैध हिरासत में रखा गया था.

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सीबीआई ने कहा था कि कथित गैंगस्टर शेख, कौसर बी और प्रजापति का गुजरात पुलिस ने 22-23 नवंबर की दरमियानी रात को एक बस से अपहरण कर लिया था. वे लोग महाराष्ट्र के सांगली से हैदराबाद जा रहे थे.

सीबीआई ने कहा था कि 26 नवंबर, 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में शेख की हत्या कर दी गई थी, जबकि उसकी पत्नी की तीन दिन बाद हत्या कर उसका शव ठिकाने लगा दिया गया था.

उसने कहा था कि उसके एक साल बाद गुजरात-राजस्थान सीमा पर 27 दिसंबर, 2006 को प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी. कोर्ट ने आगे कहा कि सरकारी तंत्र और अभियोजन पक्ष ने इस केस में काफी प्रयास किया है. 210 गवाह को भी कोर्ट के समक्ष रखा लेकिन संतोषजनक तथ्य नहीं रखा गया और गवाह विरोधी बन गए. अगर गवाह नहीं बोलता है तो अभियोजन पक्ष की कोई ग़लती नहीं है. 

बता दें कि साल 2005 में हुए कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं. इस महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वह 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे. ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं.

अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया है. इस बीच अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए. इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख का सहयोगी था.

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उसने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी एवं पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा. एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है. अदालत दोनों याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला करेगी.